क्या पिछले जन्म की बातों को हम जान सकते हैं? Sadguru Hindi / Isha Foundation

मशहूर अभिनेत्री रकुल प्रीत सिंह ने सद्‌गुरु के साथ एक बेहद रोचक मुद्दे पर बातचीत की। पेश है, उस संवाद के संपादित अंश

रकुल प्रीत सिंह: सद्‌गुरु, पिछले जन्म के बारे में आपके क्या विचार हैं? क्या यह संभव है कि हर इंसान यह जान सके कि उसका अतीत क्या था?

सद्गुरु: जिन लोगों के एक से ज्यादा बच्चे हैं, अगर उन्होंने ध्यान दिया होगा तो वे इस बात को समझ सकते हैं, या फिर इसे समझने के लिए आप अस्पताल जा सकते हैं। आप अगर अस्पताल जाकर वहां ऐसे दस बच्चों को ध्यान से देखें, जो हाल ही में जन्मे हों, तो आप पाएंगे कि वे सभी दस बच्चे एक जैसे नहीं हैं। हालांकि वे अभी-अभी पैदा हुए हैं, फिर भी वे एक जैसे नहीं हैं। उनमें से हर एक की अपनी एक अलग खासियत है। यहां तक कि अगर एक ही माता-पिता के दो बच्चे हों, समान विचारधारा और समान जींस के, एक जैसे घर में रहते हों, एक जैसा खाना खाते हों और शायद एक ही स्कूल में पढ़ते हों, फिर भी दोनों बहुत अलग-अलग होते हैं। इससे हम मान सकते हैं कि ऐसा कोई डाटा है, जो आपको, अपने भाई बहन से इतना अलग बना रहा है।

क्या जीवन इस शरीर के जन्म से भी परे जाता है?

देखिए, जो चीज आपको किसी दूसरे इंसान से अलग बनाती है, वह है आपकी याद्दाश्त। चूंकि आप अपनी एक याद्दाश्त रखते हैं, इसलिए आप औरों से अलग हैं।

जिसे आप सचेतन याद्दाश्त के तौर पर जानते हैं, वह दरअसल संपूर्ण याद्दाश्त का एक बहुत ही छोटा सा हिस्सा है। योग में याद्दाश्त यानी स्मृति के आठ स्वरूप होते हैं – तात्विक स्मृति, आणविक स्मृति, कार्मिक स्मृति, अनुवांशिक स्मृति, स्पष्ट स्मृति, अस्फुट स्मृति, चेतन स्मृति और अचेतन स्मृति। आम तौर पर आप स्मृति के केवल बहुत छोटे से हिस्से के प्रति सचेत होते हैं। आपकी त्वचा को यह आज भी याद है कि आज से लाखों साल पहले आप के पूर्वज कैसे थे, उनकी रंगत कैसी होती थी। कुछ भी भुलाया नहीं गया है।

तो क्या जीवन इस शरीर के जन्म से भी परे जाता है? बेशक जाता है, लेकिन मैं नहीं चाहता कि आप इन चीजों पर विश्वास करें। क्योंकि जैसे ही आप इन चीजों पर विश्वास करने लगते हैं, आप चीजों को लेकर कल्पना करना शुरू कर देते हैं।

जिसे आप पिछला जन्म कह रही हैं, वह दरअसल स्मृति है। आज ही के वक्त कल क्या हुआ था, वह सिर्फ आपकी यादों में है, कहीं और लटका हुआ नहीं है। तो क्या जीवन इस शरीर के जन्म से भी परे जाता है? बेशक जाता है, लेकिन मैं नहीं चाहता कि आप इन चीजों पर विश्वास करें। क्योंकि जैसे ही आप इन चीजों पर विश्वास करने लगते हैं, आप चीजों को लेकर कल्पना करना शुरू कर देते हैं। इस चीज ने लोगों को, खास करके अमेरिका में लोगों को पागल बना दिया है। वहां अगर कोई किसी को पसंद करता है, तो तुरंत उनकी प्रतिक्रिया होती है, ‘हो सकता है कि यह हमारे पिछले जन्म का प्रभाव हो।’ उनका तीन दिनों तक रोमांस चलता है और फिर चौथे दिन उनको महसूस होता है कि इसका कोई भविष्य नहीं है।

क्या हर इंसान का अपनी पुरानी यादों तक पहुंचना जरूरी है? ऐसा बिल्कुल जरूरी नहीं है, क्योंकि ज्यादातर लोग इस जीवन की यादों को ही संभाल नहीं पा रहे हैं। लोग दस साल की स्मृतियों को ही नहीं संभाल पा रहे हैं, ऐसे में अगर उन्हें दस जन्मों की बातें याद आने लगें तो सोचिए कि उनका क्या हाल होगा?

क्या पुराने जन्म की यादों तक पहुंचना ज़रूरी है?

अगर आप इन आयामों तक पहुंचने की कोशिश करेंगी तो यह कोशिश आपको एक बिल्कुल अलग तरीके से रूपांतरित कर सकती है। तो क्या हर इंसान का अपनी पुरानी यादों तक पहुंचना जरूरी है? ऐसा बिल्कुल जरूरी नहीं है, क्योंकि ज्यादातर लोग इस जीवन की यादों को ही संभाल नहीं पा रहे हैं। लोग दस साल की स्मृतियों को ही नहीं संभाल पा रहे हैं, ऐसे में अगर उन्हें दस जन्मों की बातें याद आने लगें तो सोचिए कि उनका क्या हाल होगा? बेहतर होगा कि वे इन बातों को याद न रखें।

यह सारी चीजें मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाएं हैं। मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया के जरिए आप कभी भी यादों के उन बैरियर को नहीं तोड़ सकते हैं, जो आपके एक जन्म को दूसरे जन्म से अलग करे। इसे जानने के लिए आपके मनोवैज्ञानिक ढांचे से कहीं अधिक गहरे आयाम को सक्रिय करना होगा। सवाल है कि क्या यह संभव है? बेशक संभव है, लेकिन आखिर इसका मकसद क्या है?

रकुल प्रीत सिंह : शायद पिछले जन्म की बाधाओं को दूर करने के लिए?

सद्गुरु: देखिए आप जो कह रही हैं, उसका मतलब है कि आपके जीवन में कुछ खास चीजें गलत हो रही हैं, इसका मतलब है कि कहीं न कहीं आप जीवन को संभाल पाने में अक्षम हैं। ऐसे में अब अगर किसी पिछले जीवन के अनुभव आपको दे दिए जाएं तो क्या आप उसे ठीक ढंग से संभाल पाएंगी? बिल्कुल नहीं। निश्चित तौर पर आपको इस वजह से पिछले जन्म को जानना जरूरी नहीं है। कई बार आध्यात्मिक कारणों के चलते, कुछ खास आयामों को बढ़ाने के लिए हम इन चीजों के पार जाने की कोशिश करते हैं। लेकिन ज्यादातर लोगों को इसकी कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि अगर ऐसा होता है तो उनकी जिंदगी पूरी तरह से अस्तव्यस्त हो जाएगी। मैं एक उदाहरण दे रहा हूं … मान लीजिए आप सडक़ पर चली जा रही हैं, तभी आपको सडक़ पर एक कुत्ता दिखाई देता है, जिसे देखते ही आपको याद आता है, ‘अरे यह तो पिछले जन्म में मेरा भाई था।’ और फिर आप उस कुत्ते के पीछे दौड़ पड़ती हैं। आपको तो याद आ गया, लेकिन उस कुत्ते को यह नहीं याद आया। आप समझ सकती हैं कि इस स्थिति में क्या होगा। इसलिए आपको इन सारी चीजों पर विश्वास करने की जरूरत नहीं है। लेकिन क्या इन चीजों का अस्तित्व होता है? निश्चित तौर पर ऐसी चीजें होती हैं। ऐसे में आपका नजरिया यह होना चाहिए कि आप इन चीजों पर विश्वास न करें, लेकिन आप इन चीजों पर अविश्वास भी न करें।

अगर आप खोजना और जानना चाहते हैं, तो मैं आपको बता सकता हूं कि आप जीवन को कैसे निखारें। लेकिन किसी दूसरे के कहने पर विश्वास करना कि तुम पिछले जन्म में यह थे या वह थे – ये सारी चीजें आपकी वर्तमान जिंदगी को बर्बाद कर सकती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *