
कभी एक छोटा सा प्रयोग करें, कहीं भी नग्न खड़े हो जाएं- नदी के किनारे, समुद्रतट पर, धूप में और उछलना- कूदना, भागना-दौड़ना, जागिंग शुरू कर दें और महसूस करें कि आपकी ऊर्जा आपके पैरों से पृथ्वी की ओर प्रवाहित हो रही है। कुछ मिनट इस प्रकार भागने के बाद, शांति से पृथ्वी में जड़ें जमा कर खड़े हो जाएं और अपने पैरों और पृथ्वी के बीच संवाद का अनुभव करें। अचानक आप बहुत ही स्थिर, शांत और अखंड अनुभव करेंगे। आप पाएंगे कि पृथ्वी भी कुछ कहती है, आपके पैर भी कुछ कहते हैं। आपके पैर और पृथ्वी के बीच एक संवाद घटता है।
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