दुनिया के 25 नेता अगर चाहें, तो धरती पर कोई भूखा नहीं रहेगा

सद्‌गुरु से प्रश्न पूछा गया कि इतने तकनीकी विकास के बाद भी हम दुनिया से भूख क्यों नहीं मिटा पाए हैं? सद्‌गुरु बता रहे हैं कि ऐसा करने के लिए, बस विश्व के 25 नेताओं की इच्छा की जरुरत है।

प्रश्न: हाई, मेरे प्यारे सद्‌गुरु! मेरा प्रश्न यह है कि कई अरबों का फंड खेती में, खाद्य और कृषि संगठनों से लेकर कई अनुसंधान व विकास (आर एंड डी) इकाइयों में डाला गया है। कई शोधकर्ता लगातार इस पहलू पर काम कर रहे हैं मगर हम अब तक भूख को पूरी तरह खत्म क्यों नहीं कर पाए हैं? मैं वास्तव में बहुत दुखी हूं। क्या आध्यात्मिक विज्ञान इस समस्या से लड़ सकता है? क्या इसका इन दोनों में कोई संबंध है? क्या यह अंतर को मिटा सकता है?

सद्‌गुरु: धरती पर बहुत से लोग भूख और कुपोषण से पीड़ित हैं – इसलिए नहीं कि पर्याप्त भोजन नहीं है। हमारे पास सभी 7.6 अरब लोगों के लिए पर्याप्त से ज्यादा भोजन है, मगर फिर भी 81.5 करोड़ लोगों का पेट नहीं भर रहा है।

यह कृषि की विफलता(फेल होना) के कारण नहीं है, यह मानव हृदय की विफलता(फेल होना) है।

अपने प्रेम को पूरी दुनिया तक फैलाना होगा

आप खड़े हुए और आपने ‘प्रेम’ शब्द का इस्तेमाल किया। सिर्फ मुझे निशाना बनाने की बजाय – मैं ठीक हूं – अगर आप इसे दुनिया के लिए इस्तेमाल कर सकें, तो हम देखेंगे कि आपके प्रेम से क्या किया जा सकता है। अगर प्रेम एक्शन या क्रिया में बदल जाए, तो ये 81.5 करोड़ लोग भूखे नहीं रहेंगे। अगर धरती पर भोजन की कमी होती, तो अलग बात होती, मगर जब हमारे पास उससे अधिक भोजन है जितने की हमें वास्तव में जरूरत है और फिर भी वे भूखे हैं, तो यह इंसान की विफलता(फेल होना) है, कृषि की नहीं। अगर आप किसानों को उनकी मौजूदा उपज से दोगुना उपजाने के लिए कहें तो दो साल के अंदर ऐसा हो जाएगा। मगर उसे उन लोगों तक कैसे पहुंचाएं, जिनके पास खाने के लिए भोजन नहीं है? यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि बाजार हैं, निहित स्वार्थ हैं और ऐसे देश हैं जो रास्ते में आएंगे।

आज सब मौजूद है, सिर्फ इच्छा की कमी है

एक बार जब मैं वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में था, वहां नेताओं ने कई सत्रों में मुझे सुना। फिर वे बोले, ‘सद्‌गुरु, अगर हम आपके लिए एक चीज़ कर सकें जो इस दुनिया को बदल सकती है, तो वह क्या होगी?’ मैंने कहा, ‘देखिए, मैं पच्चीस लोगों के नाम दूंगा। आप उन्हें पांच दिन के लिए मुझे दे दें। आप देखेंगे कि दो से तीन साल के अंदर धरती पर असाधारण बदलाव आ जाएगा।’ उन्होंने पूछा, ‘वे पच्चीस लोग कौन हैं?’ मैंने दुनिया के महत्वपूर्ण देशों के पच्चीस राष्ट्र प्रमुखों के नाम लिए। मैंने कहा, ‘इन पच्चीस लोगों को पांच दिनों के लिए मुझे दीजिए। एक आम इंसान के साथ मुझे दो से तीन दिन लगेंगे, मगर चूंकि वे नेता हैं, तो मुझे पांच दिन चाहिए। उन्हें मेरे साथ छोड़ दीजिए। दो से तीन साल के समय में दुनिया एक अलग जगह हो जाएगी।’

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