सद्गुरु हमें योग मार्ग के बारे में बता रहे हैं, कि योग में विचारों को बिलकुल महत्व नहीं दिया जाता, लेकिन शरीर को बहुत महत्व दिया जाता है। जानते हैं इसके कारण के बारे में।
हठ योग के कई पहलू हैं। उनमें से एक है – अपने भीतर सेहत, संतुलन व खुशहाली का भाव लाना। हठ योग का एक दूसरा आयाम है, जिसमें अपने शरीर को खत्म कर दिया जाता है। इस दिशा में हम एक छोटा सा कदम आपको सिखाते हैं, जिसे ‘अंगमर्दन’ कहा जाता है। ‘अंगमर्दन’ का मतलब है अपने अंगों को मारना। अंगों को मारने यानी मर्दन का मतलब हुआ कि अगर आप यहां बैठे हैं तो आपके अंग यहां नहीं हैं।
अगर आप अपने अंगों को ऐसा बना दें कि आप जब कहीं बैठें तो ऐसा लगे कि वे वहां हैं ही नहीं, फिर तो बैठने में कोई समस्या ही नहीं होगी। इससे शरीर में एक तरह के सुकून का अहसास होता है। तो अंगों को मारने का यही मतलब है।
योग में मन से ज्यादा शरीर महत्वपूर्ण होता है
हम लोग मन को शरीर की तुलना में ज्यादा सतही मानते हैं। अगर आप अपने तन और मन की तुलना करें तो आप देखेंगे कि अगर आप अपने शरीर में कोई चीज लेते हैं तो उस चीज को आपके शरीर का हिस्सा बनने में कुछ घंटों का समय लगता है, लेकिन अगर आप मन में कोई चीज लेते हैं तो यह तुरंत आपका हिस्सा बन जाती है, है न?
तो मन की चीज़ें शरीर की चीज़ों से कहीं ज्यादा सतही(ऊपरी) होती हैं। योग में हम मन से ज्यादा शरीर का सम्मान करते हैं। जब हम मन की बात करते हैं तो हमारा मतलब उसमें चल रहे विचार व मनोवैज्ञानिक(साइकोलॉजिकल) ढांचे से होता है। हम आपके उस मनोवैज्ञानिक(साइकोलॉजिकल) ढांचे का बिलकुल सम्मान नहीं करते, बल्कि आपके शरीर का ज्यादा सम्मान करते हैं। क्योंकि यह शरीर याद्दाश्त व बुद्धि के मामले में आपके मनोवैज्ञानिक ढांचे से कहीं ज्यादा सक्षम है। आपका मनौवैज्ञानिक ढांचा अपने भीतर बेहद सीमित याद्दाश्त व जानकारी संजो सकता है। जब किसी की बुद्धि सतही स्तर की होती है, केवल तभी वे ऐसा सोचते हैं कि उनके विचार बेहद महत्वपूर्ण हैं। अफसोस की बात है कि दुनिया के ज्यादातर लोगों के साथ ऐसा ही हुआ है, उन्हें लगता है कि उनके विचार बेहद शानदार हैं।
दोहराने वाले कर्म चक्र को तोड़ना जरुरी है
हठ योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है कि आप अपने कर्म-चक्र को तोड़ें, क्योंकि कर्म-चक्र का टूटना जरूरी है। वर्ना आपका अतीत आपके भविष्य से आगे रहेगा। हठ योग का एक महत्वपूर्ण पहलू है अपने सिस्टम को इस सृष्टि में मौजूद सबसे बड़े चक्र के साथ तालमेल में लाना। अगर आप छोटे-छोटे चक्र बनाते हैं तो यह अशांति कहलाएगी। यह हर चीज को अस्त-व्यस्त व परेशान करता है।
अगर हर मिनट एक सी चीजें हो रही हैं, तो यह अशांति लाएगी। मान लीजिए कि आपका चक्र ऐसा हो जैसे धरती सूर्य की परिक्रमा करती है तो यह बड़ा चक्र आपको ज्यादा आजादी देगा। मान लीजिए यह इसी तरह ब्रह्मांड की परिक्रमा करे तो यह और ज्यादा आजादी देगा। अभी भी चक्र होने के बावजूद आकार में विशाल होने के कारण यह आपको ज्यादा जगह, ज्यादा समय और सचेतन होने की ज्यादा क्षमता देता है। जब आप छोटे चक्रों में होते हैं तो सचेतन होना और किसी भी चीज से मुक्त होना बड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि वही चीजें आपसे बार-बार टकरा रही हैं। हर दिन लोग सुबह-सुबह लगभग उन्हीं चीजों से टकराते हैं, ऐसे में आप उन मूर्खों के सुधरने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?
तो हठ योग का मकसद इन चक्रों को तोडऩा है। इन कार्मिक चक्रों को ऐसे तोड़ा जाना चाहिए, जिससे वे बड़े चक्रों का रूप ले लें, जिससे आपको रूपांतरण के लिए काफी गुंजाइश व समय मिल सकेगा।
सबसे सरल साधना
ऐसा करने का एक महत्वपूर्ण पहलू है कि हमें हर जीव के आगे झुकना चाहिए, चाहे वे इंसान के रूप में हों, जानवर के रूप में या फिर पेड़ पौधों के रूप में अथवा किसी और रूप में। हम हर जीवन का सम्मान करें। लोग मुझसे पूछते हैं, ‘सद्गुरु मैं बदलना चाहता हूं, इसके लिए साधना क्या है?’ मेरा जवाब होता है, ‘बस इतना कीजिए। आप जिस भी चीज को देखें, चाहे वह आदमी हो, औरत हो, या बच्चा, गाय, कुत्ता, जानवर, सूअर, पेड़, चिड़िया या कोई भी जीव हो, आप उस हर चीज को सद्गुरु के रूप में देखिए।’ सारी चीजें अपने आप बदल जाएंगी।