क्या ड्रग्स किसी आध्यात्मिक साधक को ईश्वर का अनुभव करने में मदद कर सकते हैं? या वे सिर्फ पतन की ओर ले जाते हैं? सद्गुरु संभावनाओं और खतरों के बारे में समझा रहे हैं।
सद्गुरु: जब पतंजलि कर्मकांडों से कैवल्यपद की ओर बढ़े – ‘कैवल्य’ का अर्थ है मोक्ष – तो उन्होंने कहा कि आप कई तरह से ईश्वर की झलक पा सकते हैं, कुछ दवाओं या ड्रग्स के प्रयोग से, कुछ मंत्रों के
अनवरत जाप से, घोर तपस्या से या गहन समाधि से।
पहले दवाओं पर आते हैं। पतंजलि एक वैज्ञानिक थे। वह सामान्य धार्मिक व्यक्ति नहीं थे। वह किसी चीज से डरते नहीं थे। उन्होंने हर चीज को जांचा-परखा। एक धार्मिक व्यक्ति आम तौर पर ड्रग्स की बात नहीं करेगा। मगर पतंजलि ने कहा कि ड्रग भी देवत्व की एक संभावना है, मगर सबसे निचली संभावना।
सिर्फ खुराक बढ़ती जाती है
ड्रग के साथ होता क्या है? अगर आप एलएसडी या मेरिजुआना जैसा कोई रसायन लेते हैं, तो उस रसायन का यह गुण होता है कि वह कहीं न कहीं मन को तोड़ देता है।
आखिरकार आपका मन और शरीर सिर्फ रसायन ही तो है। जब आप योगिक क्रियाएं करते हैं, तो वह भी शरीर का रसायन बदलने के लिए होता है। ड्रग्स को आम तौर पर ‘माइंड ब्लोइंग’ कहा जाता है। आप जब ड्रग्स को अपने शरीर में डालते हैं तो अचानक मन टूट जाता है। आप मन के बिना ही, पल भर के लिए इस दरार के ज़रिए अस्तित्व को देख पाते हैं, जो बहुत शानदार होता है।
फिर आपको ड्रग की आदत पड़ जाती है। अगली बार उसकी खुराक बढ़ानी होगी। इसमें कोई रूपांतरण नहीं होता। यह बस एक कुछ पल का मज़ा बन जाता है। कुछ समय के बाद यह मज़ा भी नहीं रह जाता और आप असहाय होकर ड्रग पर निर्भर हो जाते हैं।
क्या आप ड्रग्स को संभाल सकते हैं?
आप इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि ड्रग्स के रास्ते पर चलने वाले कुछ लोगों को बड़े अनुभव हुए हैं, लेकिन आप देखेंगे कि उनका विकास नहीं होता, उनके भीतर कोई रूपांतरण नहीं होता।
दरअसल ऐसा व्यक्ति कभी कृपा भी हासिल नहीं कर पाता, बल्कि उसका विकास रुक जाता है। वो कभी खुशबू नहीं फैलाता। वो बस बड़े अनुभवों के बारे में बातें कर पाता है, वरना वो पिछड़ता जाता है। बस खुराक बढ़ती जाती है। इतिहास के लिखे जाना शुरू होने से पहले भी लोगों ने आध्यात्मिक मार्ग पर ड्रग्स का सेवन किया था। पुराण कहते हैं कि शिव खुद ड्रग्स का इस्तेमाल करने वाले पहले शख्स थे। वहीं से शुरुआत हुई। लेकिन आप यह जरूर समझें कि शिव उस पर काबू कर सकते हैं, आप नहीं।
एक बार, आदिशंकर अपने शिष्यों के साथ यात्रा कर रहे थे। वह एक जगह रुके और खूब सारी देशी शराब पी ली और फिर चलने लगे। कुछ शिष्यों को लगा कि इसका मतलब वे भी ऐसा कर सकते हैं। आगे जहां शराब मिली, उन्होंने भी शराब पी और फिर लड़खड़ाते हुए शंकर के पीछे-पीछे चलने लगे, क्योंकि वे उसे संभाल नहीं पा रहे थे। जब वे लोग अगले गांव पहुंचे, तो वहां शंकर सीधे लोहार के पास पहुंचे और एक बर्तन भर पिघला हुआ लोहा पी गए। अब उनकी नकल करने वाले शिष्यों को बात समझ में आ गई।
सबसे निचली संभावना
इसलिए, ड्रग्स सबसे निचली संभावना हैं, फिर भी वह एक संभावना हैं। योगिक मार्ग पर ड्रग्स वर्जित हैं, किसी नैतिकता की वजह से नहीं, इसलिए क्योंकि उसकी सीमाएं हैं। आपका मन उड़ाने के दूसरे तरीके हमारे पास हैं।
मैंने कभी कोई नशा नहीं किया मगर मेरी आंखों में देखने पर आपको मैं हमेशा नशे में लगूंगा। मैं चौबीसों घंटे नशे में रह सकता हूं मगर उसका कोई हैंगओवर नहीं होगा, उसका कोई दाम नहीं है और वह सेहत के लिए अच्छा भी है। हम शराब, ड्रग्स और ऐसी चीजों को बच्चों का खेल मानते हैं क्योंकि हम सिर्फ अपनी जीवंतता से उससे हजार गुना नशा कर सकते हैं। सिर्फ वाइन क्यों? आप डि-वाइन (चैतन्य) का नशा कर सकते हैं।