भगवान शिव के कुल 8 संताने थी। जिनमें से सिर्फ 3 का ही हर जगह उल्लेख मिलता है बाकी चार का उल्लेख बहुत कम मिलता है ।शिवजी के 1 पुत्री व 7 पुत्र थे ।
भगवान शिव की पहली पत्नी थी राजा दक्ष की पुत्री सती; परन्तु सती की मृत्यु हो जाने से उनकी कोई संतान नहीं थी।
- कार्तिकेय व श्री गणेश –शिवजी की दूसरी शादी हिमाचल राजा की बेटी पार्वती जी से हुई थी;जिनके ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय थे तथा दूसरे पुत्र श्री गणेश थे ; जिनको खुद पार्वतीजी ने उबटन से बनाया था ।
- अशोक सुंदरी – इनकी पुत्री का नाम अशोक सुंदरी था। कहते हैं माता पार्वती ने अपने अकेलेपन को खत्म करने के लिए ही इस पुत्री का निर्माण किया था।
- अयप्पा – ये शिवजी के तीसरे पुत्र, जिन्हें दक्षिण भारत में पूजा जाता है। इन्हें तमिलनाडु में भगवान अयप्पा या फिर भगवान अय्यनर के नाम से भी पुकारा जाता है। ये शिवजी और मोहिनी के पुत्र थे, मोहिनी भगवान विष्णु का ही स्त्री अवतार थीं।
- भौमा- चौथा पुत्र भौमा था, यह पुत्र शिवजी के ‘पसीने’ से उतपन्न हुआ था। एक पौराणिक कथा के अनुसार कठोर तपस्या में लीन शिवजी के पसीने का एक कतरा भूमि देवी पर जाकर गिरा। उस समय शिव जी तपस्या में लीन थे, इसलिए भूमि देवी ने स्वयं ही इस पुत्र के पालन-पोषण की जिम्मेदारी ली।
- अंधक- पांचवा पुत्र अंधक बताया जाता है,जिसका कहीं उल्लेख नहीं है ।
- खुजा- छठे पुत्र का नाम खुजा था । पौराणिक वर्णन के अनुसार खुजा धरती से तेज किरणों की तरह निकले थे और सीधा आकाश की ओर निकल गए थे।
- जालंधर- जालंधर को भगवान शिव का ही अंश बताया जाता है ।भागवत पुराण के अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपना तेज समुद्र में फेंक दिया इससे जलंधर उत्पन्न हुआ।