आपको मान्यता से मतलब है की सचाई से ? सत्य यह है की किसी भी अवतार कर वर्ण अथवा त्वचा का रंग नीला नहीं था बजाय यह सरे लोगों का आभामंडल नीला था, इस आभामंडल की वजह से दूसरे लोगो को वोहा नील दिखते थे। योग में २ प्रकार के व्यक्तित्व मिलते है १ मूलाधार २ विशुद्धि प्रकार के व्यक्तित्व। जो विशुद्धि प्रकार के व्यक्तित्व थे वो नील आभामंडल लिए हुए थे और इनकी महारत विशुद्धिचक्र पर थी इसलिए इनका आभामंडल नीला था। चुकि देखने वालो ने उनका देह नीला दिखा और कलाकारों, ऋषियों ने नीलवर्ण ही चित्रीत कर डाला।
मुझे एक श्लोक याद रहा हैँ जिसमे भगवान शिव को कपूर की तरह सफ़ेद रंग का कहा जाता है।
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
मंत्र का पूरा अर्थ- जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।