काली और शिव की एक तस्वीर में शिव जमीन पर गिरे दिखाई देते हैं और काली उनकी छाती पर खड़ी दिखती हैं। किस बात का प्रतीक है ये तस्वीर? जानते हैं।
प्रश्न: सद्गुरु, मैंने काली की कुछ तस्वीरें और मूर्तियां ऐसी देखी हैं, जहां वह शिव की छाती पर खड़ी हुई हैं। आखिर इस दृश्य का क्या महत्व है?
काली क्रोधित होकर सभी को मारने लगीं
सद्गुरु: तो आपने यह दृश्य देखा है, जहां शिव जमीन पर लेटे हैं और काली उन पर खड़ी हैं। हालांकि इसकी कई मुद्राएं हैं, लेकिन यह उनमें से एक है। इससे जुड़ी एक कहानी है। एक बार राक्षसी शक्तियों ने दुनिया पर कब्जा करना शुरू कर दिया। जब राक्षसी शक्तियों की ताकत बहुत बढ़ गई, तो काली क्रोधित हो उठीं। एक बार काली जब रौद्र रूप धर लेती हैं, तो फिर उन्हें कोई नहीं रोक पाता। गुस्से में आकर वह मार-काट पर उतर आईं, उन्होंने अपने सामने आने वाली हर चीज का नाश करना शुरू कर दिया, आखिर उन्हें क्रोध आया है, तो उसे किसी न किसी रूप में तो निकलना ही है।
स्त्रैण ऊर्जा एक मौलिक गुण है
मैं यहां स्त्री की नहीं, बल्कि स्त्रैण प्रकृति की बात कर रहा हूं। चूंकि यह एक मौलिक तत्व होता है, इस तत्व का अपने आप पर कोई नियंत्रण नहीं होता। या तो यह एक जगह ठहरा हुआ होता है या फिर यह जब किसी खास रूप में आ जाता है, तो फिर इसे संभालना मुश्किल हो जाता है। फिर इसे ठंडा करने या रोकने के लिए किसी अलग तरीके की जरूरत होती है, वर्ना यह अपने चरम रूप में जारी रहता है। तो काली की रौद्रता इस स्तर पर पहुंच गई, जिसने शिव को भी गिरा डाला। उसके बाद उन्हें सच्चाई का अहसास हुआ और उनका क्रोध कम हुआ और उन्होंने फिर से शिव में प्राण फूंके।
अपने यहां ऐसी कई तांत्रिक प्रक्रियाएं हैं, जो इस घटना पर आधारित हैं। आपने अगर यह तस्वीर देखी है तो मुझे विश्वास है कि आपने दूसरी तस्वीरें भी देखी होंगी। आपने देखा होगा कि तांत्रिक लोगों ने अपना सिर काट लिया और अपने हाथ में अपना शीश लेकर चल रहे हैं। या फिर देवी को अपना कटा हुआ शीश अपने हाथ में पकड़े चलते हुए देखा होगा। ऐसी बहुत सी तांत्रिक प्रक्रियाएं हैं, जहां ऐसी चीजें सामने आती हैं, जिसमें वास्तव में लोग अपना सिर काटकर उसे फिर से जोड़ लेते हैं। कुछ खास तरह के कर्मकांड हैं, जिसके जरिए ये किया जाता है। आप जिसका जिक्र कर रहे हैं, ये सभी भी उसी तांत्रिक प्रक्रिया के हिस्से हैं।
तंत्र का कामुकता से कोई सम्बन्ध नहीं
जब हम तंत्र का जिक्र करते हैं, क्योंकि आज ज्यादातर तांत्रिक किताबें अमेरिकियों द्वारा लिखी जाती हैं, इसलिए आज ज्यादातर लोग समझते हैं कि तंत्र का मतलब बेलगाम यौन(सेक्स) संबंध है। उनकी यह सोच उनके पास उपलब्ध विज्ञापनों, पत्रिकाओं या किताबों से बनी है। जबकि तंत्र का इससे कोई लेना-देना नहीं है। तंत्र का मतलब है – एक तकनीक, एक विधि। तंत्र का मतलब है – परम अनुशासन (जबरदस्त डिसिप्लिन)। यह एक ऐसी तकनीक या विधि या क्षमता है, जिससे कोई अपनी जिंदगी खत्म करके फिर से बना सकता है, जिसके जरिए इंसान अपने सिस्टम पर इस तरह की महारत हासिल कर लेता है कि वह अपने जीवन को पूरी तरह से बिखेरकर फिर से उसे बना ले। तो इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है – ये तस्वीर तंत्र की उस प्रक्रिया की ओर इशारा करती है। शिव खुद मृत बन कर गिर पड़े और फिर देवी ने उनमें फिर से प्राण फूंक दिए। इसके आधार पर तांत्रिकों ने ऐसी कई पद्धतियों को विकसित किया, जो उस आकार और ऊर्जा पर आधारित थीं, जहां लोग खुद अपने हाथों से अपना सिर उतारकर चले और फिर उन्होंने खुद अपना सिर जोड़ लिया।
ऐसी विद्या से क्या फायदा होगा ?
आखिर इस सबका मतलब क्या है? इसके पीछे मतलब सिर्फ इतना है कि आप अपने जीवन पर इतनी महारत हासिल कर लें कि जीवन और मृत्यु दोनों ही पूरी तरह से आपके हाथों में हो। यह कोई चमत्कार नहीं है, जो आप औरों को दिखाना चाहते हैं, बस आप तो अपने जीवन पर पूरी तरह से महारत हासिल करना चाहते हैं। जब तक आप अपने जीवन पर महारत हासिल नहीं कर लेते, तब तक आप कुछ नहीं कर सकते। आप में से हरेक को अपने जीवन पर कुछ न कुछ महारत तो होगी। वर्ना तो आप कुछ नहीं कर पाएंगे। जीवन पर आपकी महारत के स्तर से ही तय होता है कि आप जीवन में कितना कर पाएंगे। तंत्र में जीवन पर पूरी तरह से महारत हासिल कर ली जाती है। बुनियादी रूप से यह यही दर्शाता है कि आप खुद भगवान को मारकर फिर से उन्हें जीवन दे सकते हैं। यह दुस्साहस या गुस्ताखी लग रही है न? ऐसे ही हैं हमलोग।