आज मकर संक्रांति है। जानते हैं कि सूर्य की बढ़ती प्रचंडता की वजह से हम परेशान होने लगते हैं, लेकिन जरुरत है ऐसा माहौल बनाने की जहां हम अपने जीवन के स्रोत का लाभ उठा सकें।
सद्गुरु: आज मकर संक्रांति है। “मकर” का अर्थ है शीतकालीन समय या ऐसा समय जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध में सबसे नीचे होता है। “संक्रांति” का अर्थ है गति।
हम इस धरती की एक अवस्था से दूसरी अवस्था पर चले गए हैं। योगिक शब्दावली में … गर्मी की संक्रांति और और सर्दियों की संक्रांति के बीच का समय, 21 जून से 21 दिसंबर, को ‘साधना पद’ कहा जाता है। यह अपने आप पर और अपने आस-पास की सभी चीज़ों पर काम करने का समय है। इस सर्दियों की संक्रांति से गर्मी की संक्रांति के समय को ‘कैवल्यपद’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि यह फसल कटाई का समय है अर्थात यह आपके काम के फल मिलने का समय है। तो हम अभी उस चरण में प्रवेश कर रहे हैं।
सूर्य हमारे जीवन का आधार है
यह मकर संक्रांति है।
अपने जीवन के स्रोत से जुड़ने के लिए माहौल बनाना होगा
हमने इस धरती को तबाह कर दिया है। हमने अपनी खोज में इस देश का हाल भी बेहाल कर दिया है।
मूल रूप से जो हमने किया है, वह सिर्फ अज्ञानता है। हमने इस पृथ्वी से जो लिया है उसे वापिस करने का समय आ गया है। जब सूरज हमारे ऊपर होता है, तो क्या आपके बच्चों के पास बैठने या चढ़ने के लिए एक पेड़ नहीं होना चाहिए? क्या धरती पर पर्याप्त वनस्पति और पानी नही होना चाहिए? हम इन बातों से डरते हैं क्योंकि हमने कई तरह से अपने प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर दिया है, लेकिन सूरज के साथ आप कुछ नहीं कर सकते हैं और आपको कुछ करना भी नही चाहिए, क्योंकि यह हमारे जीवन का स्रोत है। मकर संक्रांति का महत्व ये समझने में है कि हमारे जीवन का स्रोत कहाँ है। हम सभी सौर ऊर्जा संचालित हैं इसलिए हम सूरज का स्वागत करते हैं लेकिन अगर हम वास्तव में इन गर्मियों और बसंत का आनंद लेना चाहते हैं, तो हमें एक ऐसा वातावरण बनाना होगा जहां हम सूरज की रोशनी का आनंद ले सकें, और इससे परेशान होने की बजाए इसकी किरणों का लाभ उठा सकें।
भावी पीढ़ियों को गर्मियों का स्वागत करने में सक्षम बनाना होगा
तो, इस मकर संक्रांति मैं चाहता हूं कि आप सभी अपने जीवन में इसे अपनाएं। आप जिस भी क्षमता से इसे कर सकते हैं करें, हमें अपने आप में पर्याप्त सक्षम होना होगा। इस देश की भावी पीढियाँ आने वाली गर्मी का स्वागत करने एवं आनंद लेने के लिए पर्याप्त सक्षम होनी चाहिए। यह केवल तभी संभव है जब हम प्रकृति में एक अनुकूल माहौल बनाएँ जहां धरती वनस्पतियों, जल संसाधनों से समृद्ध और मिट्टी में पानी को सोखने में सक्षम हो। केवल तभी हम सही मायने में मकर संक्रांति का जश्न मना सकते हैं। आपको मकर संक्रांति की ढेर सारी शुभकामनाएँ। सूरज को तो हर हाल में आना ही है। इकलौता सवाल बस यह है कि आप इसे संभालने के लिए तैयार हैं या नही। आइए हम मिलकर इसे संभव बनाते हैं।