बिना सेक्स के किसी जीव की उत्त्पत्ति और वंश का विकास संभव नहीं है OSHO

बिना सेक्स के किसी जीव की उत्त्पत्ति और वंश का विकास संभव नहीं है OSHO
लेकिन एक प्रचलित संप्रदाय ऐसा है जो सेक्स की इजाजत हर इंसान को खुलेआम देता है. इस संप्रदाय के अनुसार जो जिसके साथ चाहे अपनी और उसकी मर्जी से खुलेआम सेक्स कर सकता है.
आप सोच रहें हैं ऐसा कौन सा संप्रदाय है जिसमे सेक्स के लिए कोई पाबंदी नहीं? तो हम आज आपको उस संप्रदाय के बारे में बताते है.
वह संप्रदाय है ओशोधारा – ओशोधारा एक स्वतंत्र विचारधारा है.
इसकी स्थापना ओशो रजनीश ने की थी.
ओशो रजनीश का जन्म 11 दिसम्बर 1931 – 19 जनवरी 1990 में भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन शहर के कुच्वाडा गांव में हुआ था. ओशो शब्द लैटिन भाषा के शब्द ओशोनिक से लिया गया है, जिसका अर्थ है सागर में विलीन हो जाना.
1960 के दशक में वे ‘आचार्य रजनीश’ के नाम से एवं 1970 – 80 के दशक में भगवान श्री रजनीश नाम से और ओशो 1989 के समय से जाने गये.
वे दर्शनशास्त्र के अध्यापक थे, एक आध्यात्मिक गुरु थे तथा भारत व विदेशों में जाकर उन्होने प्रवचन दिये.
उनकी विचार धारा है कि…
कभी किसी की आज्ञा का पालन नहीं करे, जब तक के वो आपके भीतर से भी नहीं आ रही हो
अन्य कोई ईश्वर नहीं हैं, सिवाय स्वयं जीवन (अस्तित्व) के
सत्य आपके अन्दर ही है, उसे बाहर ढूंढने की जरुरत नहीं है
प्रेम ही प्रार्थना हैं
शून्य हो जाना ही सत्य का मार्ग है। शून्य हो जाना ही स्वयं में उपलब्धि है
जीवन यहीं अभी हैं
जीवन होश से जियो
तैरो मत – बहो
प्रत्येक पल मरो ताकि तुम हर क्षण नवीन हो सको
उसे ढूंढने की जरुरत नहीं जो कि यही हैं, रुको औरदेखो
वे काम वासना के प्रति स्वतंत्र दृष्टिकोण रखते और उसकी हिमायत करते थे, इसलिए उन्हें कई भारतीय और फिर विदेशी पत्रिकाओ में “सेक्स गुरु” के नाम से भी संबोधित किया गया.

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