शिवजी विवाहित हैं, फिर भी श्मशान में निवास करते हैं

अभी शिवजी का प्रिय माह सावन चल रहा है। ये महीना 15 अगस्त तक चलेगा। इस दिन सावन माह की पूर्णिमा रहेगी और रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा। सावन में शिवजी की विशेष पूजा करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। शिवजी को सबसे रहस्यमयी देवता माना गया है। उनकी वेश-भूषा सबसे अलग है। भोलेनाथ विवाहित हैं, लेकिन वे श्मशान में वास करते हैं। जानिए इस मान्यता में हमारे लिए कौन-कौन से सूत्र छिपे हैं…

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  • ये है शिव परिवार

शिव पुराण के अनुसार शिवजी के परिवार में माता पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय स्वामी और नंदी शामिल हैं। शिवजी गृहस्थ हैं, लेकिन उनका स्वरूप एकदम उलटा है यानी वे श्मशान में रहते हैं, बहुमूल्य वस्त्र और आभूषण धारण नहीं करते हैं।

  • ये है जीवन प्रबंधन का सूत्र

भगवान शिव को वैसे तो परिवार का देवता कहा जाता है, वे सांसारिक होते हुए भी श्मशान में निवास करते हैं, इसके पीछे जीवन प्रबंधन के सूत्र छिपे हैं। ये संपूर्ण संसार मोह-माया का प्रतीक है और श्मशान को वैराग्य का प्रतीक माना गया है।
भगवान शिव का स्वरूप और उनसे जुड़ी मान्यताएं हमें बताती हैं कि संसार में रहते हुए अपने सभी कर्तव्य को पूरे करो, लेकिन मोह-माया से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये संसार तो नश्वर है। एक दिन ये सबकुछ नष्ट होने वाला है। इसलिए संसार में रहते हुए भी किसी से मोह नहीं रखना चाहिए और अपने कर्तव्य पूरे करते हुए वैरागी की तरह आचरण करो। किसी भी सुख-सुविधा से या किसी भी चीज से मोह न रखें। हर हाल में समभाव रहना चाहिए।

  • ये है धार्मिक मान्यता

शिवजी को संहारक माना गया है यानी इस सृष्टि का संहार शिवजी ही करेंगे। पुरानी मान्यताओं के अनुसार ये सृष्टि बनती-बिगड़ती रहती है। भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना करते हैं और विष्णुजी इसका पालन करते हैं। भगवान शिव कलियुग के समाप्त होने पर इसका संहार करते हैं। श्मशान में ही जीवन का अंत होता है, वहां सबकुछ भस्म हो जाता है। इसीलिए शिवजी का निवास ऐसी जगह है, जहां मानव शरीर, उससे जुड़े सारे रिश्ते, सारे मोह, सारे बंधन खत्म हो जाते है। जीवों की मृत्यु के बाद आत्मा शिवजी में ही समा जाती है।

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