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गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित, प्राचीन शहर द्वारका का भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। दुनिया के विभिन्न कोनों से आए पर्यटक द्वारका शहर की शानदार वास्तुकला की ओर आकर्षित होते हैं। महाभारत में द्वारका का उल्लेख होने के कारण, द्वारका अब भी न केवल इतिहासकारों और पुरातत्वविदों बल्कि वैज्ञानिकों और धार्मिक तत्त्वज्ञानी को भी आकर्षित करता है।
द्वारका भगवान कृष्ण के अस्तित्व और भारत के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास का जीवित प्रमाण है।
द्वारका का निर्माण किसने किया और क्यों?
भगवान कृष्ण ने सौराष्ट्र के पश्चिमी तट पर एक सुंदर शहर का निर्माण करने के लिए विश्वकर्मा (निर्माण के देवता) को आवाहन दिया । विश्वकर्मा ने एक शानदार शहर के निर्माण के लिए भगवान कृष्ण को समुंद्र देव (समुद्र के देवता) से 12 योजन भूमि मांगने को कहा। भगवन कृष्णा ने विश्वकर्मा के सुझाव अनुसार समुद्र देवता से अनुरोध किया जिसके बाद विश्वकर्मा ने द्वारका शहर का निर्माण सोने, हीरे, माणिक और कीमती धातुओं से कर दिया । भगवान कृष्ण के शासनकाल में, द्वारका आकर्षक तालाबों, मंत्रमुग्ध करने वाले उद्यान, गहरी खाई और स्थापत्य महलों के साथ बहुत ही सुंदर शहर था।
भारत के इतिहास को परिभाषित करने में पौराणिक शहर द्वारका की खोज एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। द्वारका की खुदाई से प्राप्त सबूत भगवान कृष्ण और महाभारत युद्ध के अस्तित्व को साबित करता हैं। इससे यह भी साबित होता है कि भारत में हरापा सभ्यता से पहले भी भारत में बहुत सारे समृद्ध राज्य थे । सच्चे इतिहासकार महाभारत की प्राचीन ऐतिहासिकता से इनकार नहीं करेंगे और इसका अर्थ यह होगा कि भारत वैदिक काल से ही एक सभ्य देश था