भगवान श्री कृष्ण और आचार्य चाणक्य श्रेष्ठतम रणनीतिकार और मार्गदर्शक है इस धरती पर, किन्तु नीच और कुटिल शकुनि रणनीतिकार नहीं वरन् एक दुष्ट एवम् नीच षड्यंत्रकारी और भ्रष्ट बुद्धि व्यक्ति था, उसका उद्देश्य और उसकी प्राप्ति का मार्ग दूषित और निंदनीय था।
भगवान श्री कृष्ण और आचार्य चाणक्य से उसकी कोई भी तुलना नहीं, यह दोनों महामानव धर्म और जीवन में सत्य और न्याय की प्रतिष्ठा के लिए जीवनपर्यंत कार्य करते रहे, इनका उद्देश्य मानव मात्र की भलाई करना और उन्हें धर्मप्राण बनाने के लिए अर्पित किया गया, शकुनि ने जीवन भर दुष्टता, कपट और घृणा की खेती की और युद्ध और विनाश के बीज बोए।
भगवान श्री कृष्ण और आचार्य चाणक्य इस धरती पर हुए श्रेष्ठतम महामानवों में से है उन्होंने इस धरती को श्रेष्ठतम उपलब्धियां और कालातीत ज्ञान और प्रज्ञा की अनमोल धरोहर दी है जो जीवन को रूपांतरित कर श्रेष्ठतम ज्ञान और विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।
इसके विपरीत शकुनि रिश्तों और मानवीय मूल्यों का हत्यारा और मनुष्यता के माथे पर बदनुमा दाग है, जिसने पाप, दुष्टता और कपट की निकृष्ट्टम मिसाल कायम की और पूरे वंश के विनाश की आधारशिला रखी, शकुनि एक कलंक है रिश्तों और मनुष्य होने पर।
भगवान श्री कृष्ण और आचार्य चाणक्य श्रेष्ठता, नितिज्ञता और धर्म के सच्चे और श्रेष्ठ अवतार है और और शकुनि दुष्टता और शैतानी की क्रूर और नीच और कुरूप मिसाल।