मनुष्य के मन में बहुत सारी धाराएँ दौड़ रही हैं, इसलिये हमारी एकाग्रता विभाजित हो जाती है। इसीलिये हमें उच्चतम लक्ष्य — ईश्वर की जल्द से जल्द प्राप्ति का दृढ़ निश्चय बाँध कर के हार्टफुलनेस के दिव्य ध्यान या मेडिटेशन के नियमित अभ्यास द्वारा चंचल मन को हृदय के भीतर मौजूद दिव्य प्रकाश के केन्द्र के एकमात्र बिन्दु पर एकाग्रता बनाने की कला सीख लेनी चाहिये।
हार्टफुलनेस ध्यान या मेडिटेशन पद्धति के सभी सरल निर्देशों व विधियों का रोज़ाना पालन करने पर हम कुछ महीनों मे ही मन का नियमन (नियंत्रण) करना सीख जाते है।
हार्टफुलनेस का अद्वितीय अंग प्राणाहुति – योगिक/दिव्य ट्रान्समिशन आत्मा पर युगों से पड़ी छापों, परतों व मैल को हटा कर हमें पवित्र कर देती है। जिससे हमारे जीवन में दिव्य आनन्द व शान्ति भीतर से बाहर तक फैलने लगती है। दिव्य गुण जैसे पवित्रता, प्रेम, सहनशीलता, विनम्रता, क्षमा, सादगी, संतुष्टि आदि हमारे जीवन मे उतरने लगते हैं।
इस तरह जीवन मे हार्टफुलनेस ध्यान के प्रति दिन के भक्ति भरे अभ्यास तथा आत्म संयम के साथ हम अपने उच्चतम लक्ष्य की ओर लगातार आगे बढ़ने चले जाते हैं।
हार्टफुलनेस की उच्च श्रेणी की मानव तंत्र के भीतर की सफ़ायी की सरल, आध्यात्मिक व अत्यंत कारगर विधि द्वारा हम अपने भीतर बसे नाकारात्मक विचारों, मन की चंचलता, डर, चिंता, क्रोध, क्लेश, घृणा, अपराध बोध, अफ़सोस आदि जैसे मल-वि़ेक्षेप, अनुचित व अनावश्यक चीज़ों को बाहर निकाल सकते है।
इस 3 मिनट विडियो को देख कर आप समझ पायेगें की आंतरिक सफ़ायी कैसे की जाती है। इस दिव्य सफ़ायी को हर रोज़ सूर्यास्त के समय या काम से वापिस घर लोटने के बाद आवश्य करना चाहिये।
यह आध्यात्मिक सफ़ायी हर रोज़ करने से हमारा सारा आन्तरिक शरीर-तन्त्र मन्दिर की भाँति पवित्र हो जाता है ओर यह पवित्रता हमारे आत्मिक विकास व ध्यान के रोज़ किये जाने वाले अभ्यास के लिये परमावश्यक होती है।
यह बहुत ज़रूरी है कि आन्तरिक सफ़ायी के बाद वह ख़ाली हुया स्थान पवित्र विचारों द्वारा भर दिया जाये, वरना पुराने विचारों का रिक्तस्थान मे लौट आने का ख़तरा बना रहता है।और यही कला सीखने व इसमें निपुण होने के लिये हम हार्टफुलनेस ध्यान का रोज़ अभ्यास करते हैं।
सर्वश्रेष्ठ पवित्र विचार कैसे होते हैं?
ईश्वर की याद व परिकल्पना हमारे जीवन यात्रा मे अत्यंत सहायक होती है। यदि हम अपने जीवन के सभी कार्यों को सर्व शक्तिमान, सर्वज्ञाता, सर्वव्याप्त ईश्वर को प्रेम भाव से समर्पित करते हुये चलें तो कल्पना कीजिये आगे चल कर इसका कितना अच्छा परिणाम होगा।
कोई भी कार्य करते समय यह सोचें कि हम अपने लिये नहीं वरन् ईश्वर के लिये कर रहे हैं। इसे ईश्वर का सतत स्मरण कहते है। यह अत्यंत ही कारगर व प्रभावशील विधि है। उधारण के लिये:
अगर आप चल (टहल) रहे हैं तो सोचे ईश्वर स्वयं टहल रहे हैं।
दुकान या ऑफ़िस जा कर काम करना शुरू करें तो सोचें हम नहीं वरन् ईश्वर ही हमारे सारे काम कर रहे हैं।
भोजन खाते समय सदैव यह सोचे कि ईश्वर ही खा रहें हैं।
कभी भी कुछ अनुचित (डरावना या अश्लील) दिखे या सुने तो तुरन्त सोचे कि ईश्वर ही उसे देख या सुन रहें हे तो उसका बुरा प्रभाव मन पर नहीं पड़ेगा। उसकी पकड़ या प्रलोभन से छुटकारा दिलाने के लिये ईश्वर की शक्ति हमारे भीतर प्रवाहित होने लगेगी।
किसी भी तरह का सांसारिक आनन्द लेते समय जैसेकि कोई फ़िल्म या TV देखते हुये या दोस्तों से बातें करते समय यह सोचे कि हमारे अन्दर ईश्वर स्वयं आनन्द ले रहे हैं। तब हम पुन: उसी उच्चतम पवित्र विचार के दायरे या संपर्क मे आ जायेंगे।
और अगर ध्यान करने बैठे तो सोचे कि ईश्वर स्वयं अपने हिरदय मे दिव्य प्रकाश पर ध्यान कर रहें है।
मन को नियंत्रित करने की कला सीखें:
हम सब के जीवन की सभी परेशानियों की जड़ व एकमात्र कारण हमारे अनियंत्रित मन की दिग्भ्रमित क्रियाएँ होती हैं
अतएव मन को नियंत्रित करने की कला यानि ध्यान करना सीख कर ध्यान का हर रोज़ नियमित अभ्यास करने से हम हमारे मन को अपने अनुसार चलाना सीख जाते हैं; जबकि अभी हमारा मन हमें अपने अनुसार चलाता है। जिसकी वजह से सारा जीवन असंतुलित बना रहता है। परिणामत: हम परेशानियों व दुखों मे फँसे रहते है।
ध्यान करने की सबसे आसान व प्रभावशील विधि इस 2 मिनट की विडियो को देख कर आप सीख सकते हैं।
ध्यान की विधि को थोड़ा विस्तार से समझने और Relaxation (शिथिलीकरण) की सहायता से पहले शरीर को शिथिल करके ध्यान को और अधिक सफलतापूर्वक कैसे किया जाता है को सीखने व समझने के लिये यह 40 मिनट की विडियो को देख सकते हैं।
ध्यान का हर दिन नियमित अभ्यास हमारे जीवन को कैसे संतुलित व शान्तिमय बनाता है यह जानने के लिये इस विडियो को देखे।
ईश्वर से प्रेम भरी प्रार्थना सभी बीमारियों और बुराइयों के लिए समाधान है, इसलिए जब आप उस तरह के कुछ पाते हैं तो कृपया भगवान से प्रार्थना करें। विडियो मे बतायी गयी इस ख़ास दिव्य प्रार्थना को आप हर रोज़ रात को सोने से पहले व ध्यान का आरम्भ इस प्रार्थना से करें तो यह जीवन को उन्नत करने मे सर्वाधिक सहायता प्रदान करती है।