कोई भी वस्तु लेने या देने के लिए, परिवार जन अक्सर हमें बाएं की जगह दायां हाथ के इस्तेमाल करने के लिए कहते हैं। क्या है इसका विज्ञान?
बाएं और दाहिने के गुण अलग-अलग होते हैं
इसका एक कारण है कि हमारे शरीर में हृदय बाईं तरफ है। मानव प्रणाली कुछ इस तरह बनी है कि आपको शरीर के दाहिने भाग के जितना बाएं भाग का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यह चीज कुछ गतिविधियों, जैसे गेंद फेंकने आदि के लिए अधिक महत्वपूर्ण है। मगर दाहिने हाथ से ही कुछ लेने या देने का रिवाज क्यों है? दरअसल बाएं और दाहिने की गुणवत्ता बहुत भिन्न होती है। आप दाहिने हाथ या पैर को बाएं के ऊपर रखें या बाएं को दाहिने के ऊपर, इससे बहुत अंतर पड़ता है। योगिक संस्कृति में, तंत्र विद्या के क्रियाकलापों के अलावा, हम हमेशा बाएं पैर को अंदर मोड़ कर रखते हैं।
बायाँ भाग स्त्री प्रकृति से जुड़ा होता है
आपका बायां भाग स्त्रैण होता है – उसे सुरक्षा और पोषण की जरूरत होती है। आपका दाहिना भाग पुरुष प्रकृति को दर्शाता है।
आप बाएं को सौम्य और अच्छा रखना चाहते हैं ताकि वह अच्छी तरह ग्रहण करे और दूसरे के एहसासों को अच्छी तरह जान सके। अगर आप उसे दूसरे क्रियाकलापों के लिए इस्तेमाल में लाएंगे, तो वह उस संवेदनशीलता को खो देगा। आप अपने बाएं हाथ को सिर्फ तभी इस्तेमाल करें जब किसी चीज को बहुत हल्के से छूने की जरूरत हो। जैसे गोल्फ खेलने के लिए आपको अपने दिमाग से पुरुष प्रकृति को काफी हद तक निकालना पड़ता है। यही वजह है कि मैं अक्सर अपने बाएं हाथ से खेलता हूं। गेंद को दूर भेजने के लिए, आपको ताकत की नहीं, बल्कि सूक्ष्म स्पर्श की जरूरत होती है।
जीवन यापन की सभी प्रक्रियाओं के लिए हम दाहिने हाथ का इस्तेमाल करते हैं। अगर आप कोई बहुत सूक्ष्म या गूढ़ चीज करते हैं, तो आपको बाएं हाथ का इस्तेमाल करना चाहिए।
स्त्री प्रकृति को नष्ट करते जा रहे है हम
स्त्रैण की यही प्रकृति है, और बायाँ भाग स्त्री प्रकृति से जुड़ा है। ज्यादातर लोगों ने अपने अंदर के स्त्रैण प्रकृति को मार दिया है, इसलिए वे कोई अंतर नहीं महसूस कर पाते। यदि वे अपने भीतर स्त्रैण को सक्रिय रखते, तो वे इसे महसूस कर पाते।
लेकिन आजकल हमारे लिए समानता का मतलब हो गया है सभी चीजों को एक बराबर कर देना। पश्चिमी समाज में पुरुष और स्त्री प्रकृति को बराबरी पर लाने की खूब कोशिश की गई। यही चीज अब दुनिया में हर कहीं देखने को मिल रही है। मगर यह बात सबसे दुर्भाग्यपूर्ण और गलत है। स्त्रियों में भी स्त्री-गुण कम होता जा रहा है, जो एक संकट की बात है। कहीं न कहीं हम स्त्री प्रकृति को कमजोरी के रूप में देखते हैं, क्योंकि भौतिक मूल्य हम पर हावी हैं।
जीवन का आर्थिक पक्ष पुरुष प्रकृति से जुड़ा है
जब आपके लिए सिर्फ आर्थिक पक्ष ही महत्वपूर्ण हो, तो सिर्फ पुरुष प्रकृति ही बची रहेगी। आर्थिक पहलू मुख्य रूप से आपके जीवन-यापन की प्रक्रिया है। हम धरती पर जीवन-यापन की प्रक्रिया को सबसे अधिक महत्वपूर्ण बना रहे हैं, जो जीने का एक मूर्खतापूर्ण तरीका है। ऐसा करने पर स्त्री प्रकृति के लिए बहुत गुंजाइश नहीं रह जाती क्योंकि अपने और अपने आस-पास के लोगों की जरूरतों को पूरा करना मुख्य रूप से एक पुरुष प्रकृति से जुड़ी प्रक्रिया है।
ऐसा नहीं है कि महिलाओं में यह गुण नहीं होने चाहिए या वे ऐसा करने में असमर्थ हैं मगर गुणों के अर्थ में हम एक गुण को पूरी तरह नष्ट कर रहे हैं और फिर चिंता कर रहे हैं कि दुनिया इतनी निर्मम और असभ्य क्यों हो गई है। आज के समाज में हम जो मूल्य स्थापित कर रहे हैं, उससे कोई और नतीजा नहीं निकल सकता।
स्त्री प्रकृति के काम करने के लिए, बाएं हिस्से को कोमल और सजग रखना होगा। दाहिना हाथ दुनिया के काम करने के लिए है। जैसे गेंद फैंकना, जीवन यापन करना और ऐसी सभी चीजें। जीवन यापन के सभी चीज़ों के लिए हम दाहिने हाथ का प्रयोग करते हैं। अगर आप कुछ बहुत ही सूक्ष्म काम कर रहे हों तो आपको बायाँ हाथ इस्तेमाल में लाना चाहिए।
कुछ लोगों का दिल जन्म से ही दाहिनी ओर होता है। उसी तरह, कुछ लोग जन्म से ही ‘लेफ्ट हैंडेड’ होते हैं। उनकी ऊर्जा इस तरह व्यवस्थित होती है कि वे स्वाभाविक रूप से बाएं हाथ का ही इस्तेमाल करते हैं। मगर कुदरती तौर पर आप बाएं के मुकाबले दाहिने हाथ से अधिक काम कर सकते हैं।
बाएं भाग को अलग तरह से रखा जाना चाहिए क्योंकि उसे अलग मकसद से बनाया गया है। इसका यह मतलब नहीं कि आपको सिर्फ दाहिने हाथ से कसरत करने की जरूरत है। बस आपको अपने बाएं भाग को उतने आक्रामक तरीके से इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जैसे आप दाहिने भाग को करते हैं। उसे ग्रहणशीलता के लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए। वरना आपके अंदर ग्रहणशीलता नहीं बचेगी।