सद्गुरु से प्रश्न पूछा गया कि ज्योतिष विज्ञान के अनुसार सूर्य, चन्द्र और केतु का एक इक्वीलेटरल ट्रायंगल या समबाहु त्रिभुज बनाना मोक्ष के लिए उत्तम स्थिति माना जाता है – ये त्रिभुज हमें कैसे प्रभावित करते हैं? सद्गुरु बता रहे हैं कि योग विज्ञान में भी ऐसा ही त्रिभुज बनाने की कोशिश के जाती है।
प्रश्न : दो साल से मैं वैदिक ज्योतिष में शोध कर रहा हूं। मैं यह देखकर हैरान हूं कि आपकी कुंडली में सूर्य, चंद्रमा और केंद्रीय बिंदु केतु बिलकुल 120 डिग्री की दूरी पर हैं और एक समबाहु त्रिभुज या इक्वीलेटरल ट्रायंगल बना रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि यह मोक्ष के लिए बिलकुल सही स्थिति है। मेरा सवाल है कि इस ज्योतिष के पीछे किस तरह का विज्ञान है? यह इंसानों को कैसे प्रभावित करता है। इसका माध्यम क्या है। क्या यह गुरुत्व है या विद्युतचुंबकीय बल या कुछ और? यह है क्या?
योग में भी त्रिभुज महत्वपूर्ण होता है
सद्गुरु : ईशा में भी एक त्रिभुज है। एक त्रिभुज और एक बेहद पतला गोला था, जिसमें ईशा लिखा हुआ था। यह शुरु से ऐसा ही रहा है।
समय के साथ किसी ने वृत्त को हटा दिया, किसी ने त्रिभुज को हटा दिया और अब सिर्फ ईशा रह गया है और वही ‘लोगो’ बन गया। मैंने कहा कि हमें त्रिभुज को इस तरीके से वापस लाना होगा कि यह ठीक से नजर न आए, लेकिन इसे वहां होना चाहिए, क्योंकि मुझे तभी अच्छा लगता है जब कोई त्रिभुज समबाहु होता है, क्योंकि इसमें योग के कुछ विशेष पहलू हैं। तीन दिन पहले ही मैंने यह बात कही थी। इसको लेकर अभी थोड़ा कन्फ्यूजन है कि त्रिभुज को वापस कैसे लाया जाए। अब आप ग्रहों के समबाहु त्रिभुज की बात कर रहे हैं। खैर हम किसी न किसी तरह से त्रिभुज को वापस लाएंगे। इसके अलावा मैं इस बात के लिए प्रतिबद्ध हूं कि मुझे आपके सभी त्रिभुजों को समबाहु त्रिभुज बनाना है। यही समय है कि मैं आपको ठीक करूं, है न? अगर आप विषमबाहु त्रिभुज हैं, तो आपको समबाहु में बदलने का समय अभी है। कई मामलों में हमारा योगिक सिस्टम भी यही सब करता है।
योग में शरीर, मन और ऊर्जा का त्रिभुज महत्वपूर्ण है
ज्योतिष में झांकने की मैंने कभी कोशिश नहीं की। मुझे नहीं पता आपको यह सब कैसे पता चला। हमारे योगिक सिस्टम का मकसद आपको समबाहु त्रिभुज बनाना है, क्योंकि ऊर्जा आकार की सबसे मूल संरचना त्रिभुजाकार ही है। हम खुद भी तो त्रिभुजों का एक जटिल मिश्रण ही हैं। अगर ये त्रिभुज समबाहु होंगे तो सब कुछ बढिय़ा होगा। वे अपने आप ही सही तरीके से काम करेंगे, क्योंकि त्रिभुज की तीन भुजाएं शरीर, मन और ऊर्जा हो सकती हैं। जिस जीवन में ये त्रिभुज समबाहु होंगे, वह शानदार तरीके से चलेगा ही। चाहे आप सामान्य सूर्य नमस्कार करें या शांभवी मुद्रा करें या थोड़ी जटिल शक्ति चालन क्रिया करें, आप जो भी कर रहे हैं, उसका मकसद आपको ज्यादा संतुलित बनाना है। ज्यादा संतुलित का मतलब है कि तीनों पहलू समबाहु हो जाएं। अगर ज्योतिष इसे मोक्ष के रूप में देखता है, तो मुझे ज्योतिष को थोड़े ज्यादा सम्मान के साथ देखना होगा, क्योंकि यही तो वो चीज है, जिस पर हम बहुत ध्यान देते हैं। लोग समबाहु होने के जितने ज्यादा नजदीक होंगे, उन पर अलग-अलग ऊर्जा स्तर का उतना ही काम किया जा सकता है।
समबाहु त्रिभुज बनाने का समय है ये
जागरूकता के लिए जन आंदोलन की जरूरत होती है, लेकिन मूल आध्यात्मिकता का जो मर्म है, वह भीड़ में घटित नहीं होता। बहुत यात्राएं करने और भीड़ को लक्ष्य करने के बजाय मैं अब लोगों पर व्यक्तिगत रूप से ज्यादा ध्यान देना चाहता हूं।
जागरूकता लाने के लिए अभी इसी की जरूरत है। भीड़ के लिए हम शायद ऑनलाइन जाएं। हम टीवी की मदद लेंगे। लेकिन असली काम व्यक्तिगत स्तर पर ही होगा। वैसे तो हमेशा से ऐसा ही होता आया है, लेकिन अब ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसीलिए मैंने कहा कि आध्यात्मिकता के लिए यह स्वर्ण युग है। जन आंदोलन होने चाहिए, आज हमारे पास तकनीक है, हमें हर जगह जाने की जरूरत नहीं है। हम यहां बैठ सकते हैं और करोड़ों लोगों से बात कर सकते हैं।
हम इन चीजों का उपयोग करना चाहते हैं और लोगों पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान केन्द्रित करना चाहते हैं, क्योंकि बदलाव का यही समय है। अब वो समय आ गया है। हम बहुत सारे समबाहु त्रिभुज देखना चाहते हैं। आपकी कुंडली बदले या नहीं, आपको बदलना चाहिए, है न? हम आपके जन्म की गुणवत्ता को नहीं बदल सकते, लेकिन हम आपके बाकी के जीवन की गुणवत्ता को जरूर बदल सकते हैं। साथ ही आप इस दुनिया को छोडक़र कैसे जाएंगे, उसमें भी निश्चित रूप से बदलाव ला सकते हैं।