शाम्भवी महामुद्रा करने से छूटी सिगरेट पीने की आदत

कार्तिक एक खुशमिजाज चेन स्मोकर था। नौजवान के शारीरिक तंत्र ने भी इस आदत को अच्छी तरह संभाला हुआ था। पर एक दिन आया जब उसके भीतर धूम्रपान करने की इच्छा ही नहीं रही, पढ़िए क्यों?

इनर इंजीनियरिंग कार्यक्रम के बारे में पत्नी से पता चला

उन सात दिनों के दौरान, वह रोज मुझे यूएसए से काॅल करती रही। प्रतिदिन वह मुझे बताती रही कि वह कितना अच्छा महसूस कर रही थी, उसने क्या नया सीखा, वह जीवन के बारे में और क्या समझी।

उसका उत्साह और प्रसन्नता किसी छूत की तरह मुझे तक आ रहे थे, पर यह तो एक योगाभ्यास की कक्षा से मिलने वाला उत्साह था। मैंने सोचा, ‘वह जल्दी ही इन बातों से उबर जाएगी।’ तब मैं कहाँ जानता था कि योग की छूत कैसी हो सकती है!

जब उसने अपना कार्यक्रम समाप्त किया तो इसके बाद वह मुझसे आग्रह करने लगी कि मुझे भी उस योग प्रोग्राम, ‘इनर इंजीनियरिंग या ईशा योग प्रोग्राम’ का हिस्सा बनना चाहिए।

किसी भी आज्ञाकारी पति की तरह, मैंने एक अंग्रेजी में होने वाले प्रोग्राम का पता लगा लिया, जो आने वाले माह में, अन्ना नगर में होने जा रहा था, यह स्थान चेन्नई में, मेरे निवास स्थान ननगनल्लुर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर था। ज्यों-ज्यों प्रोग्राम के दिन निकट आते गए, मेरे मन में एक ही बात बार-बार आती रही, ‘भला मुझे वहाँ जाने की क्या जरूरत है?’

सिगरेट छोड़ने के सभी प्रयास असफल रहे

जब से हमारा विवाह हुआ, तब से ही मेरी पत्नी के साथ मेरे संबंध बहुत अच्छे रहे, बस मेरी एक ही आदत ऐसी थी जो उसे समय-समय पर बेचैन कर देती। मैं एक चेन स्मोकर था। हालांकि शुरुआत में सामाजिक दबाव के चलते यह आदत पड़ी थी पर धीरे-धीरे मुझे यह लत लग गई। जल्दी ही शाम के समय शराब पीना भी इसका एक हिस्सा बन गया। मैं जवान था और हर रोज कसरत भी करता था इसलिए, इन बातों से मेरी सेहत पर कोई अंतर नहीं पड़ा। फिर भी मैं अपने शारीरिक व्यायाम के लिए जितना समय दे रहा था, उसका कोई असर नहीं दिख रहा था, सिवाय इसके कि वह मेरे फेफड़ों और मांसपेशियों को बेहतर रखने की दिशा में काम कर रहा था।

अपनी पत्नी के आग्रह पर मैंने कई बार सिगरेट पीना छोड़ने की कोशिश भी की, पर सारे प्रयास बेमन से किए गए। कोई भी तकनीक या संकल्प एक सप्ताह से ज्यादा नहीं टिका। खैर, अब उसे खुश करने के लिए मैंने उस योग कार्यक्रम में हिस्सा लेने का निर्णय ले लिया। मुझे सात दिन तक, प्रतिदिन बस तीन घंटे का समय देना था। हालांकि, उन सात दिनों में, हर सत्र के पहले और बाद में, मैं बिना किसी बाधा के लगातार सिगरेटें सुलगाता। परंतु धीरे-धीरे एक बदलाव आ रहा था।

शाम्भवी महामुद्रा के 40 दिन के अभ्यास का असर

आरंभ में, धूम्रपान की निरंतरता में कमी आई क्योंकि अगर मुझे दिन में दो बार अभ्यास करना था तो उसके लिए आवश्यक था कि अभ्यास के पहले चार घंटों में सिगरेट न पी हो।

मैं उस अभ्यास के बाद इतना बेहतर महसूस करता था कि मैं उस न तो उस शर्त को छोड़ पाया और न ही अभ्यास को छोड़ पाया। अभ्यास के कुछ ही दिन में लगने लगा कि अब सिगरेट पीने में उतना आनंद नहीं आता था। हे भगवान! मैं उसे छोड़ना भी नहीं चाहता था।

यह तो जैसे ईशा योगाभ्यास और मेरे प्रिय सिगार के बीच जंग छिड़ गई थी और मैं दोनों को ही छोड़ना नहीं चाहता था। हालांकि, चालीस दिन के अभ्यास के बाद मैं इस हालात में आ गया कि फिर कभी सिगरेट को हाथ से छूने का भी मन नहीं किया।

जल्दी ही शराब पीने का अभ्यास भी छूट गया। अब मैं शराब को हाथ तक नहीं लगाता और मुझे भी नहीं पता कि यह कैसे संभव हुआ। आज मुड़ कर देखता हूँ तो पता चलता है कि सिगरेट पीना भी कैसी मूर्खता थी, कुछ दिनों के बाद इससे मुझे कोई नशा भी नहीं मिलता था। बस इसकी लत लगी थी, और जैसा कि हर नशे के साथ होता है उसे पीने के बाद कुछ पलों के लिए संतोष मिलता था। बेशक इसके साथ मिलने वाली सामाजिक संगति ने मेरे मन को इस निरर्थक और सेहत के लिए हानिकारक आदत का शिकार बना दिया था। मैं भाग्यशाली हूँ कि इतनी आसानी से इसकी पकड़ से छूट गया। मुझे अपना नशा कहीं और मिल गया। मैं उन गुरुओं को प्रणाम करता हूँ जिन्होंने हमें योग का खजाना सौंपा।

सिगरेट पीने वालों के नाम संदेश

अंत में, दुनिया भर में फैले धूम्रपान करने वाले मित्रों के नाम संदेश देना चाहूँगा!

अगर आप सिगरेट पीते हैं, तो इसे न त्यागें। अपना योगाभ्यास लगातार जारी रखें … आपसे चिपकी हुई हर बेकार की बात, अपने आप ही, बिना कोई निशान छोड़े छूमंतर हो जाएगी। वास्तविक जीवन का आनंद लें!

-कार्तिक, डायरेक्टर सेल्स, ननगनल्लुर, चेन्नई

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