गौतम बुद्ध के 2500 सालों बाद अब होगा धर्म चक्र परिवर्तन

गौतम बुद्ध ने कहा था कि उनके समय के 2500 सालों के बाद एक समय आएगा जब धर्म चक्र पूरा हो जाएगा और एक नए युग की शुरुआत होगी। क्या आने वाले सालों में बड़े परिवर्तन आ सकते हैं? जानते हैं…


प्रश्न: गौतम बुद्ध ने कहा था कि ढाई हजार सालों में धर्म चक्र पूरा घूम जाएगा। हम उसके निकट हैं। सद्‌गुरु, क्या आप इस पर कुछ प्रकाश डाल सकते हैं?
सद्‌गुरु : गौतम बुद्ध ने कहा कि उनके जाने के दो हजार पाँच सौ वर्षों के बाद, एक नए चक्र का आरंभ होगा। हम ये देखने के लिए यहां नहीं होंगेए पर विशेष रूप से भारत में और कई रूपों में दुनिया के कई हिस्सों में ख़ास कर आध्यात्मिक तल पर नए विकास होंगे। कई रूपों में, यह अपनी तरह की अनूठी क्रांति होगी।
मैं यह दावा नहीं करता कि हम जिस समय में जी रहे हैं वह अनंत काल का सबसे महत्वपूर्ण समय है। ऐसा नहीं है। इतिहास का चाहे जो भी समय रहा हो, हर पीढ़ी के लिए वही समय अपने-आप में खास था। लेकिन इतिहास के अलग-अलग पड़ाव पर, जीवन के कुछ पक्ष खास हो जाते हैं।

आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण समय
यह समय, दुनिया के लिए आध्यात्मिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण समय है। इस समय दुनिया में इतना आराम मौजूद है, जितना पहले कभी नहीं था।
इसके साथ यह इतनी अनिश्चित व तनावपूर्ण भी कभी नहीं थी। इससे पहले कभी आम लोग इतनी बड़ी संख्या में आध्यात्मिकता की ओर नहीं आए थे। दुनिया में कलह और क्लेश बढ़ा है तो आंतरिक जगत में रुचि भी बढ़ी है। एक तरह से देखा जाए तो यह एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर यह प्रक्रिया जारी रहती है, अगर धरती पर लोगों की यह रुचि बनी रहती है, तो यह कई तरह से मानवता के लिए समाधान व मोक्ष होगा।
अब तक इंसान की दिलचस्पी बाहरी दुनिया को जीतने में थी। विज्ञान और तकनीक के तरक्की के साथ हमने बाहरी दुनिया के साथ बहुत कुछ कर लिया है। बड़ी तेजी से, पिछली दो सदियों के दौरान, हमें एहसास हो गया है कि केवल बाहरी जगत जीतने से बात नहीं बनेगी। अगर हम विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना बाहरी जगत को जीतने की कोशिश करते, तो शायद हमें इस बात को समझने में कई सदियाँ या सहस्राब्दियां और लग जातीं।
एक समय था, जब एक अशोक या एक गौतम बुद्ध को एहसास हुआ कि केवल बाहरी जीत से कुछ हासिल नहीं होगा। परंतु आज, दुनिया का आम नागरिक भी इसे समझने लगा है। ऐसा केवल इसलिए है क्योंकि हमारे पास विज्ञान और तकनीक है जिसकी मदद से हम देख सकते हैं, कि हम बाहरी दुनिया में चंद्रमा व मंगल तक तो पहुंच गए लेकिन अगर भीतर की बात करें, तो हम कहीं नहीं पहुँच पा रहे। ऐसा क्षण, आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण होता है। यह संसार कहीं अधिक आध्यात्मिक होता जा रहा है क्योंकि कई रूपों में संघर्ष, कलह और कष्ट अपने शिखर पर हैं।

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