कई बच्चों की नकारात्मक प्रवृत्तियां माता-पिता के लिए परेशानी का सबब बन जाती हैं। ऐसे में माता-पिता के पास बच्चे को सम्यक दंड देने का अधिकार है। दंड का मतलब शारीरिक दंड नहीं। बच्चे से कुछ देर बात न करना उसके लिए बहुत बड़ी सजा है, क्योंकि बच्चे का सारा व्यवहार आपका ध्यान पाने के लिए होता है। अगर वह ध्यान उसे न मिले तो उसकी सारी मेहनत बेकार चली जाती है। बच्चा आप पर चीखे-चिल्लाए तो उस वक्त छोड़ दें, लेकिन खुद को नॉर्मल भी न दिखाएं। बाद में बैठकर बात करें कि इस तरह बात करना आपको बुरा लगा। ऐसे व्यवहार से उसके दोस्त, टीचर सभी उसे बुरा बच्चा मानेंगे। बार-बार कुरेदें नहीं, अन्यथा उसकी ईगो हर्ट होगी। बच्चा जो सुनेगा, वही सीखेगा, इसलिए उसके सामने गलत भाषा का प्रयोग न करें। अगर वह गाली गलौज करे तो उसे बताएं कि ऐसी भाषा गलत है। बच्चा चोरी करे या किसी की चीजें उठा लाए, झूठ बोले तो उसे न पीटें, न डांटें। भाई-बहनों के आगे उसे जलील भी न करें कि यह चोर है। यह कहना भी ठीक नहीं कि तुम हमारे बच्चे नहीं हो सकते। अगर कोई दूसरा ऐसी शिकायत लाता है तो वे मानने को तैयार नहीं होते कि हमारा बच्चा ऐसा कर सकता है। पर्दा डालने की कोशिश करने लगते हैं। ऐसे बच्चे को उसकी पसंदीदा चीजों से कुछ देर के लिए दूर कर दें। बच्चे का बैग रेग्युलर चेक करें, लेकिन उसकी मौजूदगी में नहीं। उसमें कोई भी नई चीज नजर आए तो उसे लौटाने को कहें, लेकिन पूरी क्लास के सामने माफी न मंगवाएं। अगर कोई कहता है कि आपके बच्चे ने चोरी की है तो यह न कहें कि वह ऐसा नहीं कर सकता। अकेले में बच्चे से पूरी पूछताछ करें। बच्चे को बताएं कि आप कोई चीज उठाकर लाएंगे तो आप टेंशन में रहेंगे कि कोई देख न ले। इससे अच्छा है कि चोरी की ही न जाए।बच्चा झूठ बोले तो माता-पिता खुद को कोसने लगते हैं कि हमारी तो किस्मत ही खराब है। उन्हें लगता है कि बच्चे ने बहुत बड़ा पाप कर दिया है। उसके दोस्तों को फोन करके पूछते हैं कि सच क्या है? जब दूसरा कोई शिकायत करता है तो बिना सच जाने बच्चे की ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं कि हमारा बच्चा ऐसा नहीं कर सकता। वे दूसरों के सामने अपनी ईगो को हर्ट नहीं होने देना चाहते। बच्चे को अपना कोई उदाहरण देकर उस काम के नेगेटिव पक्ष बताएं। ऐसा माहौल रखें कि बच्चा अपनी गलती बताने से डरे नहीं। उसे भरोसा दिलाएं कि उसकी गलती माफ हो सकती है। बच्चों में आध्यात्मिक मूल्य भरे जा सकें तो जीवन की बहुत सारी समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं। जो बच्चे गुरुमुख होते हैं, उनका परिवार भी सुखी रहता है।