देव भूमि भारत के इतिहास के गर्भ में ऐसे कई राज दफ़्न हैं, जो कहानियों के रूप में आज भी सुने और सुनाए जाते हैं । शास्त्रों मे उल्लेख आता हैं कि जब जब धरती पर धर्म की हानी होने लगती है या पापाचार बड़ जाता है, तब तब परमपिता परमात्मा स्वयं धरती का उद्धार करने के लिए मनुष्य रूप में जन्म लेते हैं, और जन्म लेता है उसकी मृत्यु भी निश्चित ही होती हैं । भगवान श्री विष्णु जी ने भी द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था । उनके जन्म के बारे में तो हर कोई जानता हैं पर यहां जाने उनकी मृत्यु के बारे में ।
हिन्दू धर्म के बहुत ही पवित्र तीर्थ स्थल और चार धामों में से एक जगन्नाथ पुरी की धरती को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है । इसी जगन्नाथ मंदिर में छूपा हैं एक ऐसा रहस्यमय जिसे शायद ही बुहत कम लोग जानते होंगे । शास्त्रों में प्रसंग आता हैं कि पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में स्थापित भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर स्वयं ब्रह्म विराजमान हैं ।
स्वयं ब्रह्म श्रीकृष्ण के मनुष्य रूपी नश्वर शरीर में विराजमान थे और जब श्रीकृष्ण की मृत्यु हुई, तब पांचों पांडवों ने उनके शरीर का दाह-संस्कार कर दिया । लेकिन दाह संस्कार के बाद भी श्रीकृष्ण भगवान का दिल (पिंड) जलता ही रहा, ब्रह्म ने आकाशवाणी कर पांडवों को आदेश दिया कि वे इस पिंड को जल में प्रवाहित कर दें । पांडवों ने वैसा ही किया । जल में प्रवाहित श्रीकृष्ण के उस पिंड ने एक लट्ठे का रूप ले लिया ।
उसी राज्य के राजा इन्द्रद्युम्न, जो कि भगवान जगन्नाथ के परम भक्त थे, को यह लट्ठा मिला जिसे उन्होंने जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर स्थापित कर दिया । उस दिन से लेकर आज तक वह लट्ठा भगवान श्री जगन्नाथ की मूर्ति के अंदर ही विराजमान है, प्रत्येक बारह वर्षों के बाद भगवान जगन्नाथ की मूर्ति बदली जाती हैं पर भगवान श्रीकृष्ण का प्रतिक वह लट्ठा उसी में रहता है ।
सबसे ज्यादा हैरान करने वाला चमत्कार तो यह की इस लट्ठे को आज तक किसी ने भी नहीं देखा । मंदिर के पुजारी जो इस मूर्ति को बारह साल बाद बदलते हैं, उनका कहना है कि उनकी आंखों पर पट्टी बांधकर, हाथों पर कपड़ा ढक दिया जाता है, जिस कारण वे ना तो उस लट्ठे को देख पाते हैं और ही छूकर महसूस कर पाते हैं । पुजारियों की माने तो भगवान श्रीकृष्ण का प्रतिक वह लट्ठा इतना मुलायम होता है मानो कोई खरगोश उनके हाथ में फुदक रहा है ।
कहा जाता है कि अगर कोई मनुष्य इस मूर्ति के अंदर छिपे ब्रह्म को देख लेगा तो उसकी मृत्यु तत्काल हो जाएगी, इसी वजह से जिस दिन भगवान श्री जगन्नाथ की मूर्ति बदली जाती है, उस दिन उड़ीसा सरकार द्वारा पूरे शहर की बिजली बंद कर देती है ।