हज़ारो साल बाद खुला रहस्य, पानी के नीचे मिला द्वारका का खोया शहर:- अर्जुन ने महाभारत में कहा है की द्वारका सिर्फ एक नाम था; सिर्फ एक स्मृति।” जो समुंद्र में आंखो के सामने समा गया था।
भारत में कृष्णा भगवान की महिमा के बारे में कौन जनता नहीं। सभी कृष्णा भगवान को द्वारिका धीश नाम से जानते हैं। दरअसल भगवान द्वारिका के नरेश थे और इसी कारण उनका नाम द्वारिका धीश पड़ा। आज हम आपको भगवान कृष्ण के होने का ऐसा साबुत देंगे जिसे आप सिर्फ किताबो में देखेंगे नहीं बल्कि आप इसे देख भी सालते है। जैसे की भारत क्षेत्र में पश्चिमी तट पर स्थित द्वारका एक प्राचीन शहर है। आपको बता दें की यह शहर धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चलिए आज आपको हम धवारिका के रहस्य के बारे में बतातें हैं।
द्वारका मंदिर की शानदार स्थापत्य की योजना ने दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित किया है। अपने गौरवशाली अतीत के दौरान, द्वारका में सुंदर उद्यान, कई तालाबों और महलों (विष्णु पुराण) के एक शहर था लेकिन यह कहा जाता है की भगवान कृष्णा लापता होने के साथ ही यह शहर भी जलमग्न हो गया था। द्वारिका महाभारत में अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण हमेशा वैज्ञानिकों के अलावा पुरातत्वविदों और इतिहासकारों के लिए एक आकर्षण का कारण बना हुआ है। दरअसल सभी इसका रहस्य जानना चाहते है।
भगवान कृष्ण ने अपने मामा कंस को मार अपने नाना को मथुरा का राजा बनाया। वहीँ मथुरा पर जरासंध मगध का राजा और उसका दोस्त कालयवन ने मिलकर कर मथुरा पर कुल 17 बार हमला किया था। तब कृष्ण भगवान ने अपने लोगो के सुरक्षा के लिए यादवो से सलाह कर मथुरा से राजधानी हटा कर द्वारिका को बनाया गया। श्री कृष्ण और यादवों ने मथुरा छोड़ दिया और सौराष्ट्र के तट पर जा पहुंचे। तटीय क्षेत्र में अपनी राज्य बनाने का फैसला किया जिसके लिए विस्वकर्मा निर्माण के देवता ने समुंद्रदेवता की मदद मांगी। समन्द्रदेवता ने बेहद खुश होकर भगवन की सहायता की और उन्हें दिया 12 योजना माप कर भूमि दे दी राज्य को बनाने के लिए। वही यह भी कहा जाता है की विस्वकर्मा भगवन ने एक सोने से एक शहर का निर्माण किया।
द्वारका का जलमग्न होना: भगवान कृष्ण ने महाभारत के अंत में अपने निवास को त्याग दिया था। इस के बाद अधिकतर यादव खुद में लड़कर मर गए और फिर वह समय आया जब द्वारका समुद्र में जलमग्न हो गया। आपको बता की अर्जुन ने खुद महाभारत में इस बात की व्याख्या की है। अर्जुन ने कहा है की मैंने खूबसूरत इमारतों को एक के बाद एक जलमग्न होते हुए देखा। कुछ क्षणों के एक मामले में, यह सब खत्म हो गया था। और वही समंदर कुछ प्रकार उसके बाद शांत हुआ जैसे कुछ हुआ ही नहीं था। द्वारका सिर्फ एक नाम था; सिर्फ एक स्मृति।”
द्वारका की खोज: द्वारका के उस हिसे को 1983 और 1990 के बीच खोल लिया गया था। आधे मील से भी अधिक बढ़ा है, द्वारिका का हिसा जिसकी खोज की गयी है। यह हिसा भारत से बहुत दूर समंदर के भीतर है। यह भी कमाल है कि प्राचीन ग्रंथों में वर्णित द्वारका शहर के सामान्य लेआउट समुद्री पुरातात्त्विक यूनिट द्वारा खोज लिया गया है। डॉ एसआर राव के मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण के अंतर्गत अपने काम से बाहर किया जो भारत की पुरातात्त्विक सर्वेक्षण (एएसआई)। इस पर निर्माण की गई वृत्तचित्र वृष 2001 में जिसे वृत्तचित्र, टीवी एशिया पुरस्कार 2002 मिला।