21 जून को मनाएंगे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया है। इसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री ने की और संयुक्त राष्ट्र ने इसे स्वीकृति दी है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किये जाने के उपलक्ष्य में आइये पढ़ते हैं सद्‌गुरु का सन्देश।

 

योग जीवन की मौलिक प्रक्रियाओं की खोज है। यह सभी धर्मों से पहले अस्तित्व में आया और इसने इंसान के लिए प्रकृति द्वारा तय सीमाओं से ऊपर उठने की संभावनाएं खोलीं। यदि इंसान भरपूर लगन से प्रयास करे, तो योग की मदद से वह इन सीमाओं से परे जा सकता है। योग विज्ञान को इसके शुद्ध रूप में उपलब्ध करना इस पीढ़ी की जिम्मेदारी है। आंतरिक विश्वास, खुशहाली और मुक्ति का यह विज्ञान भावी पीढिय़ों के लिए सबसे बड़ा उपहार होगा। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए मैं माननीय प्रधानमंत्रीजी को बधाई देता हूं।

हालांकि सभी धर्म एक अंदरूनी मार्ग के रूप में शुरू हुए, लेकिन वे समय के साथ विकृत होते चले गए और उन्होंने धीरे-धीरे कोरी मान्यताओं और विश्वासों का रूप ले लिया, जो लोगों के अनुभव में नहीं था। इसके चलते समाज में टकराव बढ़ा। कायदे से होना तो यह चाहिए था कि जैसे ही मनुष्य धार्मिक बनता, उसके सारे झगड़ों का अंत हो जाता, लेकिन दुर्भाग्य से धर्म ही झगड़ों की जड़ बन गया है। जब एक इंसान किसी एक चीज में विश्वास करता है, तो दूसरा किसी और चीज में, तो टकराव होना लाजिमी है। जबकि योग विज्ञान विश्वास पर नहीं, खुद के अनुभवों पर आधारित है।

 

योग का मुख्य उद्देश्य हमेशा से धर्म को विश्वास के रूप में खोजने के बजाय एक अनुभव, खासकर एक आंतरिक -अनुभव के तौर पर खोजने का रहा है।

योग मार्ग में अपने भीतर देखना अहम है। जो कुछ भी सच है, उसका अनुभव कीजिये और उस पर आगे बढि़ए। योग को एक विश्वास के बजाय एक विज्ञान की तरह लेना होगा। योग के जरिए इंसान विकसित होकर अपने उच्चतम स्वरूप, ईश्वर या चैतन्य, या इसे आप जो भी कहना चाहें, तक पहुंच सकता है, विश्वास कर सकता है। ऐसा वह अपने शरीर, मन, भावनाओं या आंतरिक-ऊर्जाओं के जरिए से कर सकता है। केवल यही वो चार हकीकतें हैं, जो आप जानते हैं। बाकी दूसरी हर चीज आपकी कोरी कल्पना होती है, या सिखाई गई होती है।

 

योग का सार ही यही है कि ‘मैं खुद को बदलने के लिये तैयार हूं।‘ यह दुनिया को बदलने के लिए नहीं है – यह खुद को बदलने की इच्छा का नाम है। इस दुनिया में असली बदलाव तभी आएगा, जब आप खुद को बदलने के लिये तैयार हों। लेकिन जब आप कहते हैं कि मैं चाहता हूं कि दूसरे सभी लोग बदलें तो इस हालत में केवल टकराव होगा। अगर आप बदलने के लिये तैयार हैं, केवल तभी रूपांतरण होगा। यह स्व-रूपांतरण ही इंसान और समाज को सच्ची खुशहाली तक ले जाएगा। यही सच्ची क्रान्ति है।

 

ये आपके भीतरी गुण ही हैं, जो आप दुनिया में बांटते हैं। आप चाहे इसे मानें या न मानें, यही सच्चाई है। आप जो हैं, वही आप सब जगह फैलाएंगे। अगर आपको दुनिया की चिंता है तो सबसे पहले आपको खुद में बदलाव लाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *