वायु तत्व पर महारत पाने से जीवन में क्या बदलाव आ सकते हैं? सद्गुरु बता रहे हैं कि वायु तत्व का रूपांतरण जल्दी नतीजे प्रसुत करता है। लेकिन ये सिर्फ आपके विचार और भावनाओं के अनुभव को बदल सकता है, जबकि कर्मों की चक्की पहले की तरह ही चलती रहती है।
वायु पुत्र होने का क्या अर्थ है?
अगर आप भारतीय पुराणों को देखें, तो आप पाएंगे कि जो भी शक्तिशाली व्यक्ति है, वह वायु का पुत्र है। भीम वायु-पुत्र हैं, हनुमान वायु-पुत्र हैं। ये सभी भारत के शक्तिशाली पुरुष थे, ये भारत के पहलवान थे।
ऐसे शक्तिशाली लोग हमेशा वायु या वायु तत्व के पितृत्व में पले-बढ़े, क्योंकि वायु तत्व पर अधिकार करने से कुदरती तौर पर शारीरिक बल और मानसिक शक्ति मिलती है। हमारी संस्कृति हमेशा से तर्क पर आधारित रही है, जहां आप अपने जीवन को बल देने वाले तत्व को अपने पिता रूप में मानते हैं। यदि वायु पर अधिकार पाने के कारण आप उस रूप में निखरे हैं, जो आप अभी हैं, तो आप कहेंगे, ‘वायु मेरे पिता हैं’।
वायु शक्तिशाली स्थिति पैदा करता है
आप दूसरे तत्वों के बिना कुछ समय तक रह सकते हैं, मगर वायु से एक तरह की तात्कालिकता जुड़ी होती है। अगर आप एक मिनट भी सांस न लें, तो वह आपको बताता है, ‘आप मरने वाले हैं, आप मृत्यु के बहुत करीब हैं।’ अगर आप तीन घंटे तक भी पानी न पिएं, तो वह इतने जोरदार तरीके से आपको नहीं बताता, क्योंकि आपके पास समय होता है। हवा से एक तात्कालिकता जुड़ी है, वायु की प्रकृति तात्कालिक होती है, जो उसे बहुत जल्दी रूपांतरित करने या बदलाव लाने की क्षमता देती है। सभी तत्वों में से वायु एक ऐसा है, जो सबसे अधिक बल पैदा कर सकता है। तूफ ान जितनी ऊर्जा कोई चीज पैदा नहीं कर सकती। अधिकांश चक्रवात और बाढ़ वायु से पैदा होते हैं, क्योंकि वह बहुत शक्तिशाली तरीके से आगे बढ़ सकता है, जबकि वह सिर्फ हल्की हवा है। वह दूसरे तत्वों की तरह ठोस नहीं होता, मगर हल्की होने के बावजूद वह भारी शक्ति पैदा कर सकता है। यह बाहरी वातावरण के लिए भी सच है और हमारी आंतरिक संरचना के लिए भी। अगर आप उसे एक खास तरीके से सक्रिय करना सीख लें, तो वह आपको असाधारण रूप से बलशाली बना सकता है। जरूरी नहीं है कि यह बल शारीरिक ही हो, यह जीवन के मामले में भी है। यह किसी इंसान में बहुत सारे बदलाव ला सकता है।
सिर्फ मन और भावनाएं बदलता है वायु
यदि जीवन को एक उच्चतर संभावना की ओर बढऩा है, तो पंच-तत्वों पर अधिकार होना बहुत महत्वपूर्ण है। खास तौर पर वायु पर अधिकार बहुत जरूरी है, क्योंकि इसके तात्कालिक नतीजे होते हैं।
इसका प्रभाव आपकी मानसिक और भावनात्मक संरचना में तुरंत दिखाई देगा, जो आपके जीवन को जबर्दस्त तरीके से बदल सकता है। अपने मनोवैज्ञानिक नाटक की प्रकृति में बदलाव आने पर अचानक आप यह सोचने लगते हैं कि आपका पूरा जीवन बदल गया है। वास्तव में ऐसा नहीं होता, लेकिन आपके अनुभव में वह बदल जाता है। सिर्फ एक छोटा सा नाटक बदलता है, बाकी सब कुछ वैसा ही है, कर्म की चक्की अब भी उसी तरह चल रही है। मनोदशा को बदलकर आप अपने जीवन की नियति को नहीं बदल सकते। वह अब भी वैसी ही होगी। उसे बदलने के लिए किसी और चीज की जरूरत होती है।
वायु तत्व पर महारत से अग्नि तत्व भी सहायक होता है
लेकिन ज्यादातर लोगों के अनुभव में अगर उनके विचार और भावनाएं थोड़े बेहतर तरीके से व्यवस्थित हो जाते हैं, तो उन्हें लगता है कि वे पूरी तरह रूपांतरित हो गए हैं और आत्मज्ञान के करीब हैं। इसलिए वायु वह आयाम है जो पार्ट-टाइम योगियों के लिए सबसे बेहतर है, क्योंकि उस पर अधिकार करना आसान है और वह तत्काल नतीजे देता है। अगर आपने वायु पर अधिकार कर लिया है, तो अग्नि तत्व अपने आप थोड़ा-बहुत आपके पक्ष में हो जाता है। बहुत से लोगों के साथ यह समस्या होती है कि उनके जीवन में अग्नि तत्व की कमी होती है। उसकी कमी के कारण जीवन में उनकी पैठ नहीं होती। उनकी हर कोशिश नाकाम हो जाती है, क्योंकि उनके पास वह आग नहीं होती जिसकी मदद से वह दुनिया में आगे बढ़ पाएं। आपको अग्नि के साथ दुनिया में आगे बढऩा होगा, वरना आपको कोई परिणाम नहीं मिलेगा। इसलिए वायु को सक्रिय करने की पूरी प्रक्रिया इंसान के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है।