चंद्रगुप्त को भोजन में जहर देते थे चाणक्य, जानें ऐसी ही अनसुनी बातें

आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के नाम से भला कौन अनजान है, एक महान ज्ञानी, महान नीतिज्ञ जिन्होंने एक आम से बालक को भारत का छत्रपति सम्राट बनाया, जिनकी दूरदर्शिता बहुत पहले ही एक सफल राज्य और सफल जीवन की रूपरेखा तैयार कर चुकी थी। इतना ही नहीं सैकड़ों साल बाद आज भी उनकी नीतियां मील का पत्थर साबित होती है।

आचार्य चाणक्य

बहुत से लोग हैं जो आचार्य चाणक्य के सिद्धांतों और उनके कथनों को अपने जीवन में नियम के तौर पर अपना चुके हैं। स्कूल, कॉलेज में भी चाणक्य के सिद्धांत शोध और अध्ययन के विषय हैं।

आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य ने क्या कहा, किससे संबंधित क्या निर्देश दिए, ये बात तो अधिकांश लोग जानते ही हैं लेकिन आचार्य चाणक्य का जीवन कैसा था, उनके जीवन में कैसी-कैसी घटनाएं घटित हुई थीं, ये बातें बहुत ही कम लोग जानते हैं।

आचार्य चाणक्य

तो चलिए आज हम आपको आचार्य चाणक्य से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो वाकई आपको नई लगेंगी।

अद्भुत बालक

आचार्य चाणक्य जन्म से ही अद्भुत बालक थे। जब उनका जन्म हुआ था तब उनके मुंह में एक दांत था। एक बार एक जैन मुनि उनके घर पधारे और उनके मुंह का दांत देखकर बोले कि ये बालक बड़ा होकर राजा बनेगा।

आचार्य चाणक्य

लेकिन आचार्य चाणक्य के माता-पिता चाहते थे कि उनका बालक या तो कोई मुनि बने या फिर आचार्य बने। जब उन्होंने ये बात उन जैन मुनि से कही तो उन्होंने बताया कि इस बालक का यह दांत निकलवा दें, फिर यह बालक एक महान राज्य का निर्माण करेगा।

चंद्रगुप्त

आचार्य चाणक्य ने अपने शिष्य चंद्रगुप्त को उन्हीं के मामा से धन देकर खरीदा था। चंद्रगुप्त के मामा उनसे दास की भांति कार्य लेते थे और अत्याधिक लालची होने के कारण वे उन्हें हाथ से नहीं जाने देना चाहते थे।

चंद्रगुप्त की क्षमता

जब चाणक्य ने चंद्रगुप्त की क्षमता पहचान ली तो वे किसी भी हाल में चंद्रगुप्त को राजा बनाकर धनानंद और उसके सहयोगियों द्वारा हुए अपने असम्मान का प्रतिशोध चाहते थे और उनके प्रयत्नों से यह संभव भी हुआ।

आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के दो अन्य नाम भी हैं। उन्हें कौटिल्य और विष्णु गुप्त के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि विष्णु गुप्त ही चाणक्य का वास्तविक नाम है।

चाणक्य

कौटिल्य ने बहुत पहले ही राज्य का अपना निजी संविधान होने की बात कही थी। आज से लगभग 2300 वर्ष पूर्व उपजा यह विचार सर्वप्रथम चाणक्य का ही था। चाणक्य से पहले कभी किसी ने संविधान जैसी बात के बारे में ना तो सोचा था और ना ही इसकी कल्पना की थी।

आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के जन्म स्थान को लेकर इतिहास के जानकारों के बीच अभी तक विवाद है। प्राचीन जैन ग्रंथ परिशिष्ट पर्व के अनुसार उनका जन्म गोल्य जनपद में हुआ था। उनके पिता का नाम चणक और माता का नाम चणेश्वरी था।

चाणक्य

चाणक्य के ऊपर बिंदुसार की माता और चंद्रगुप्त मौर्य की पत्नी की हत्या करने जैसा घृणित अपराध भी लगा था। इस आरोप से आहत होकर चाणक्य ने चंद्रगुप्त का साथ और अपने सभी पद छोड़ दिए थे। बाद में यह आरोप गलत साबित हुआ था।

ऑडिटिंग की अवधारणा

ऑडिटिंग की अवधारणा भी सर्वप्रथम चाणक्य ने ही समझाई थी। उनका यह भी कहना था कि एक कर्मचारी को एक ही विभाग में बहुत लंबे समय तक कार्य नहीं करने देना चाहिए। हर कर्मचारी का विभाग समय-समय पर बदलते रहना चाहिए।

आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य ने सर्वप्रथम राज्य, राजा और संविधान का ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया था। लेकिन उनके पास इन तीनों में से कुछ नहीं था। इसीलिए उन्हें एक योग्य शासक की तलाश थी, जिसे छत्रपति सम्राट बनाया जा सके।

जहर

ये बात सुनकर बहुत लोगों को हैरानी होगी, लेकिन ये बात सच है कि आचार्य चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य को भोजन में बहुत ही कम मात्रा में जहर भी दिया करते थे ताकि चंद्रगुप्त के शरीर के लिए जहर अजनबी ना रहे।

दुश्मन

इसका फायदा यह होता कि जब उनके दुश्मन भोजन में जहर मिलाकर मारने का प्रयत्न करें तो उनका शरीर उस जहर का सामना कर पाए।

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