भारत की भूमि पर बहुत से ज्ञानी पुरुषों ने जन्म लिया है और उन्हीं महान शख्सियतों में से एक हैं आचार्य चाणक्य। भारत को पहला छत्रपति सम्राट देने वाले आचार्य चाणक्य एक ऐसे दार्शनिक थे, जिन्होंने वर्तमान में रहते हुए भविष्य को भांप लिया था।
इसके पीछे उनकी कोई छठी इंद्रिय नहीं बल्कि उनकी सूझबूझ और विचारशीलता थी, जिसके जरिए वो वर्तमान हालातों के मद्देनजर पहले ही भांप लिया करते थे कि भविष्य में कैसी स्थिति आ सकती है या मनुष्य को किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
यही वजह है कि आज भी चाणक्य के कथनों और उनकी नीतियों का अनुसरण बहुत से लोगों द्वारा किया जा रहा है। आज हम आपको चाणक्य की उन्हीं अनमोल नीतियों के विषय में बताने जा रहे हैं जो आपके नए साल को और भी ज्यादा खुशनुमा और सफल बना देंगे। यकीन मानिए इन्हें अपने जीवन में लागू करने के बाद कोई पछतावा नहीं होगा।
चाणक्य के अनुसार एक सफल इंसान वही है जो यह जानता है कि अपनी पत्नी को खुश और संतुष्ट कैसे रखना है। जो गरीब को खाना दे सके और अपनी प्लेट में रखा खाना सही तरीके से खा सके, वहीं एक पुरुष की पहचान है।
वह पुरुष जिसका बेटा उसकी आज्ञा का पालन करता है, जिसके जीवन में ईमानदारी है, जो पुरुष अपनी भौतिक संपत्ति से संतुष्ट है, वही व्यक्ति वाकई स्वर्ग को प्राप्त कर लेता है।
चाणक्य के अनुसार आदर्श बेटा वही है जो अपने पिता की आज्ञा का पालन करता है, आदर्श पिता वही है जो अपने परिवार की देखभाल करता है। आदर्श मित्र वही है जो आपके विश्वास को कायम रखता है और आदर्श पत्नी वही है जिसके साथ रहते हुए पति को किसी भी प्रकार की कमी का अहसास ना हो।
चाणक्य नीति कहती है जो लोग मुंह पर जरूरत से ज्यादा मीठे होते हैं, वे पीठ पीछे जरूर छुरा घोंपने के लिए अवसर तलाश रहे होते हैं। जो लोग हमेशा आपकी हां में हां मिलाएं, वह कभी आपके लिए सही साबित नहीं होते।
दोस्त हो या दुश्मन, चाणक्य के अनुसार अपने रहस्य किसी को भी नहीं बताने चाहिए। दुश्मन आपके राज को आपके विरुद्ध लेकर आ सकता है और आपका दोस्त अगर आपसे क्रोधित हो गया तो वे आपके रहस्यों को दुनिया के सामने ला देगा।
अगर आप कुछ बड़ा करने की सोच रहे हैं तो जब तक वह काम वास्तविक रूप से हो ना जाए तब तक उससे जुड़ी कोई भी बात उजागर ना करें। उसकी जानकारी ना तो अपने दोस्त को दें और ना ही अपने दुश्मन को भनक लगने दें।
चाणक्य के अनुसार किसी के घर में बिना किराया दिए रहना इंसान की सबसे बड़ी गलती साबित हो सकती है। यह कार्य उम्रभर के लिए आपकी छवि खराब कर सकता है।
जिस तरह हर सीप के भीतर मोती प्राप्त नहीं होता, उसी तरह हर इंसान के भीतर ईमानदारी और सद्भावना का गुण भी नहीं मिलता। साधु-संन्यासियों को बिना जाने, बिना परखे उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
जो अभिभावक बचपन से ही अपनी संतान के भीतर अच्छे संस्कार और समझदारी का गुण रखते हैं, उन्हें ही आगे चलकर समाज में सम्मान हासिल होता है।
जो पिता अपने बच्चे को शिक्षा देने में कोताही बरतता है, दरअसल वही अपनी संतान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। अशिक्षित संतान परिवार के भविष्य पर कलंक लगा देती है।
अगर आप अपनी संतान की हर ख्वाहिश पूरी करेंगे तो उसे बिगड़ने में देर नहीं लगेगी। अभिभावकों को प्रेम के साथ-साथ अपनी संतान को अनुशासन भी सिखाना चाहिए।
चाणक्य के अनुसार मनुष्य का एक भी दिन बिना ईश्वर को याद किए, बिना मंत्र जाप के नहीं बीतना चाहिए। आपके द्वारा किए गए मंत्र जाप, आपके ज्ञान की वृद्धि करते हैं।
चाणक्य के अनुसार पर पुरुष के साथ रहने वाली स्त्री, समुद्र के किनारे खड़ा वृक्ष और अच्छे अधिकारियों की कमी वाली सरकार का पतन कभी भी हो सकता है।
चाणक्य नीति के अनुसार एक ब्राह्मण की असली ताकत उसके ज्ञान में है और एक सफल शासक की ताकत उसकी सेना में है। उसी तरह एक व्यापारी की ताकत उस क्षेत्र में है जहां उसने अपना सारा पैसा लगाया है।
जिस तरह पढ़ाई समाप्त होने के बाद विद्यालय छोड़ देने के लिए कहा जाता है, उसी तरह जब एक स्थान पर कार्य पूरा हो जाए तो वहां टिकना बेवकूफी ही है।
चाणक्य के अनुसार दोस्ती हमेशा तभी सफल होती है जब वह दो बराबर स्तर के लोगों के बीच हो। दोस्ती के मामले में आपका सामाजिक और आर्थिक स्तर बहुत मायने रखता है।