चाणक्य के अनुसार संभोग के बाद जरूरी है स्नान, जानें क्यों

हिन्दू धर्म में शारीरिक के साथ-साथ मानसिक और आत्मिक स्वच्छता के ऊपर काफी बल दिया गया है। हिन्दू शास्त्रों के अंतर्गत यह कहा गया है कि व्यक्ति को दिन में तीन बार स्नान अवश्य करना चाहिए।

 

अगर कोई मनुष्य शास्त्रों के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करना चाहता है तो उसे सर्वप्रथम ब्रह्ममुहूर्त यानि सुबह 4-5 बजे के बीच स्नान कर लेना चाहिए।

दूसरी बार स्नान करने का समय दोपहर के लिए निश्चित है और तीसरा यानि दिन का अंतिम स्नान शाम छ: बजे के बाद किया जाना चाहिए।

हिन्दू शास्त्रों के अंतर्गत ना सिर्फ संपूर्ण स्नान बल्कि हाथ-पांव धोने को भी काफी महत्व दिया गया है। शास्त्रों के अनुसार घर पहुंचने के बाद मनुष्य को अपने हाथ और पांव अवश्य धोने चाहिए, इसके अलावा भोजन ग्रहण करने से पहले और ग्रहण करने के बाद भी आपको हाथ-पांव धोने चाहिए।

हिन्दू धर्म ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि शरीर पर स्वच्छ पानी डालने से ना सिर्फ आपको आत्मिक बल्कि शारीरिक शक्तियों को भी बल मिलता है। ऐसा करने से आपकी मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं और मस्तिष्क खुलता है।

हिन्दू शास्त्रों के अलावा भारत के महान नीतिशास्त्र आचार्य चाणक्य द्वारा भी स्नान के बहुमूल्य महत्वों के विषय में बताया गया है। उनके अनुसार 4 ऐसे मुख्य कार्य हैं, जिन्हें करने के बाद मनुष्य को स्नान अवश्य करना चाहिए।

अगर ऐसा नहीं होता तो व्यक्ति को शारीरिक स्वास्थ्य को तो हानि पहुंचती ही है, साथ ही साथ उसके आध्यात्मिक स्तर का भी नाश होता है।

चाणक्य के अनुसार शवयात्रा या अंतिम संस्कार से लौटने के बाद व्यक्ति को घर में प्रवेश करने से पहले अवश्य स्नान करना चाहिए। मृत्यु के बाद शरीर के भीतर मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है और मृतक का शरीर बहुत से बैक्टीरिया एकत्र कर लेता है, यह बैक्टीरिया अन्य लोगों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

मृतक का शरीर जब पंच तत्व में विलीन हो जाता है तब वे बैक्टीरिया निकलकर बाहर आ जाते हैं और बाहर खड़े लोगों के शरीर पर आ जाते हैं। घर में प्रवेश करने से पहले अगर स्नान किया जाएगा तो ये बैक्टीरिया आपके शरीर से निकल जाएंगे।

संभोग के बाद किसी भी धार्मिक क्रिया में शामिल होना अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि संभोग के बाद स्नान करने के बाद ही अन्य किसी कार्य में शामिल हुआ जाए।

चाणक्य के अनुसार संभोग के बाद स्नान करना अत्यंत आवश्यक है। ऐसा करने से पहले घर की साफ-सफाई भी नहीं की जानी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से आप अपने घर को और गंदा कर रहे होते हैं।

आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को सप्ताह में एक बार पूरे शरीर पर तेल मालिश जरूर करनी चाहिए। लेकिन एक बात का ध्यान भी जरूर रखें कि तेल मालिश के बाद स्नान करना भी उतना ही जरूरी है जितनी की तेल मालिश।

चाणक्य के अनुसार बाल कटवाने के बाद स्नान करना भी बहुत जरूरी है, ताकि कटे हुए बाल आपके शरीर से निकल सकें। क्योंकि अगर ये बाल हमारे शरीर पर रह गए तो ये बैक्टीरिया को आमंत्रित करेंगे जो निश्चित तौर पर आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाएंगे।

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