कई बार लोग यह सवाल करते हुए पा एजाते हैं कि ‘जीवन को सफल कैसे बनाया जाए? ऐसा हम क्या करें कि हमारे जीवन की गाड़ी सही पटरी पर चले? नुकसान से बचने के लिए किन सावधानियों को बरतें?” इन सभी सवालों के जवाब खोजने में कई बार तो हम सफल होते हैं लेकिन अमूमन असफल ही पाए जाते हैं। लेकिन चाणक्य की नीतियों में हमारी हर उलझन का हल है।
आचार्य चाणक्य द्वारा प्रस्तुत किए गए महान ग्रंथ नीतिशास्त्र में मनुष्य की हर समस्या का समाधान है। जीवन में सफलता कैसे पाएं, कौन आपका मित्र है और कौन दुश्मन उसे कैसे पहचानें, विवाह योग्य पति एवं पत्नी के लक्षण, ऐसी कई बातें नीतिशास्त्र में दर्ज हैं।
ऐसे ही एक विषय को हम आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहे हैं, जिसके अनुसार आचार्य चाणक्य ने उन तीन परिस्थितियों की बात की है जो एक ‘दुर्भाग्यशाली’ व्यक्ति की पहचान कराते हैं।
ये परिस्थितियां जब भी एक पुरुष के जीवन में आती हैं, तो उसका दुर्भाग्य लेकर आती हैं। हम यहां कुल 3 परिस्थितियों की बात करेंगे।
एक महिला का सुहागन मरना काफी शुभ माना जाता है, क्योंकि हमारे समाज में पति का पहले मर जाना और विधवा जीवन का जीना किसी अभिशाप से कम नहीं है। किंतु आचार्य चाणक्य के अनुसार पत्नी का पति से पहले मर जाना, उस पति के लिए दुर्भाग्य वाली बात है।
चाणक्य के अनुसार बुढ़ापे में जीवनसाथी का होना बेहद आवश्यक है, एक पति निजी सुख-सुविधाओं के लिए पूर्ण रूप से अपनी पत्नी पर निर्भर होता है। और जब वह ही चली जाती है तो पति खुद को असहाय पाता है।
दुश्मन से बड़ा दुनिया में कोई दूसरा संकट नहीं है, ऐसा आचार्य चाणक्य कहते हैं। उनके अनुसार अगर आपका कमाया धन, इज्जत, मान-सम्मान किसी शत्रु के हाथ लग जाए तो वह उसका दुरुपयोग कर सकता है। यह परिस्थिति व्यक्ति का दुर्भाग्य लेकर आती है।
जीवन में एक ऐसा मोड़ जब व्यक्ति की स्वतंत्रता छिन जाती है, वहीं से उसका दुर्भाग्य आरंभ हो जाता है। किसी की गुलामी करने वाला इंसान पूर्ण रूप से या फिर कभी सफल नहीं होता, ऐसा चाणक्य का कहना है।