सूर्य नमस्कार बेहतर बनाने के 3 टिप्स

हठ योग का मकसद एक ऐसे शरीर का निर्माण है जो आपके जीवन में बाधा न हो बल्कि अपनी चरम संभावना में विकसित होने की ओर एक सोपान हो। अपने शरीर को इसके लिए तैयार करने के लिए आप कुछ सरल चीजें कर सकते हैं और अपने अभ्यास से अधिकतम लाभ पा सकते हैं।

1. सूर्य नमस्कार से पहले ठंडे पानी से स्नान करें

अभ्यास शुरू करने से पहले, सामान्य तापमान से थोड़े ठंडे पानी से स्नान करें। अगर एक खास मात्रा में पानी आपके शरीर के ऊपर से बहता है या आपका शरीर सामान्य तापमान से कुछ ठंडे पानी में डूबा हुआ रहता है, तो एपथिलियल कोशिकाएं संकुचित होती हैं और कोशिकाओं के बीच का अंतर बढ़ता है। अगर आप गुनगुने या गरम पानी का इस्तेमाल करते हैं, तो कोशिकाओं के रोमछिद्र खुल जाते हैं और पानी को सोख लेते हैं, हम ऐसा नहीं चाहते। योग के अभ्यास के लिए यह बहुत जरूरी है कि कोशिकाएं संकुचित हों और कोशिकाओं के बीच का अंतर खुल जाए क्योंकि हम शरीर की कोशिका संरचना को ऊर्जा के एक अलग आयाम से सक्रिय करना चाहते हैं।

अगर कोशिकाएं संकुचित होकर बीच में जगह बनाती हैं, तो योग का अभ्यास कोशिका की संरचना को ऊर्जावान बनाता है।

कुछ लोग दूसरे लोगों के मुकाबले ज्यादा जीवंत और सक्रिय इसलिए लगते हैं क्योंकि उनकी कोशिकाओं का ढांचा ज्यादा ऊर्जावान होता है। जब वह ऊर्जा से सक्रिय होता है, तो वह बहुत लंबे समय तक ताजगीभरा रहता है। यह करने का एक तरीका है, हठ योग। दक्षिण भारत में, नल का पानी आम तौर पर सामान्य तापमान से थोड़ा ज्यादा ठंडा होता है। अगर आप एक मध्यम तापमान वाली जलवायु में रहते हैं, तो नल का पानी ज्यादा ठंडा हो सकता है। सामान्य तापमान से तीन से पांच डिग्री सेंटीग्रेड तापमान आदर्श होगा। सामान्य से दस डिग्री सेंटीग्रेड तक कम तापमान चल सकता है – पानी उससे ज्यादा ठंडा नहीं होना चाहिए।

2. सूर्य नमस्कार के बाद पसीने को त्वचा में मलें

चाहे आप आसन कर रहे हों, सूर्य नमस्कार या सूर्य क्रिया – अगर आपको पसीना आए, तो उस पसीने को तौलिये से न पोंछें – हमेशा उसे वापस मल दें, कम से कम अपने शरीर के खुले हिस्सों में। अगर आप पसीने को पोंछ देते हैं तो आप उस ऊर्जा को बहा देते हैं, जो आपने अभ्यास से पैदा की है। पानी में याददाश्त और ऊर्जा को धारण करने की क्षमता होती है। इसीलिए आपको तौलिये से पसीना नहीं पोंछना चाहिए, पानी नहीं पीना चाहिए या अभ्यास के दौरान शौचालय नहीं जाना चाहिए, जब तक कि उसे अनिवार्य बना देने वाले विशेष हालात न पैदा हों।

और योग के अभ्यास के बाद कम से कम डेढ़ घंटे बाद स्नान करें – तीन घंटे उससे भी बेहतर होंगे। पसीने के साथ दो से तीन घंटे न नहाना गंध के मामले में थोड़ा मुश्किल हो सकता है – इसलिए बस दूसरों से दूर रहें!

3. सही मात्रा में पानी पिएं

योग के अभ्यास के बाद स्नान से पहले कम से कम डेढ़ घंटे इंतजार करें।

सिर्फ उतना पानी पीना सीखें, जितने की शरीर को जरूरत है। जब तक कि आप रेगिस्तान में न हों या आपकी आदतें ऐसी न हों जिनसे आपके शरीर में पानी की कमी हो जाती है – जैसे कैफीन और निकोटिन का अत्यधिक सेवन – तब तक लगातार पानी के घूंट भरने की जरूरत नहीं है। शरीर का 70 फीसदी हिस्सा पानी है। शरीर जानता है कि उसे खुद को कैसे ठीक रखना है।

अगर आप अपनी प्यास के मुताबिक और 10 फीसदी अतिरिक्त पानी पीते हैं, तो यह काफी होगा। मसलन – अगर दो घूंट पानी के बाद आपकी प्यास बुझ जाती है तो 10 फीसदी पानी और पी लें। इससे आपके शरीर की पानी की जरूरत पूरी हो जाएगी। बस अगर आप धूप में हैं या पहाड़ पर चढ़ाई कर रहे हैं, आपको बहुत पसीना आ रहा है और शरीर से तेजी से पानी निकल रहा है, तो आपको ज्यादा पानी पीने की जरूरत है। तब नहीं, जब आप एक छत के नीचे योग कर रहे हों।

जैसा कि मैंने पहले ही कहा, जितना हो सके, पसीने को वापस शरीर में मल लें मगर आपको हर समय ऐसा करने की जरूरत नहीं है। वह थोड़ा टपक सकता है – बस तौलिये का इस्तेमाल न करें। उसे वापस शरीर में जाने दें क्योंकि हम ऊर्जा को बहाना नहीं चाहते, हम उसे बढ़ाना चाहते हैं।

सूर्य नमस्कार और सूर्य क्रिया

अगर कोई व्यक्ति सूर्य नमस्कार के द्वारा एक तरह की स्थिरता और शरीर पर थोड़ा अधिकार पा लेता है, तो उसे सूर्य क्रिया नामक अधिक शक्तिशाली और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण प्रक्रिया से परिचित कराया जा सकता है। सूर्य क्रिया मूलभूत प्रक्रिया है। सूर्य नमस्कार, सूर्य क्रिया का अधिक आसान और सरल रूप है, दूसरे शब्दों में वह सूर्य क्रिया का ‘देहाती भाई’ है। सूर्य शक्ति नामक एक और प्रक्रिया है, जो और भी दूर का रिश्तेदार है। अगर आप सिर्फ मांसपेशियां मजबूत करने और शारीरिक मजबूती के लिए इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो आपको सूर्य शक्ति करना चाहिए। अगर आप शारीरिक तौर पर फिट होना चाहते हैं, मगर उसमें थोड़ा आध्यात्मिक पुट भी चाहते हैं, तो आपको सूर्य नमस्कार करना चाहिए। मगर यदि आप एक शक्तिशाली आध्यात्मिक प्रक्रिया चाहते हैं, तो आपको सूर्य क्रिया करना चाहिए।

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