ये हैं वो 4 कारण जो बनाते हैं शादी को ‘असफल’ / चाणक्य नीति

जीवन में हर रिश्ते की अपनी अहमियत होती है। कहते हैं एक मां का और उसके बच्चे का रिश्ता सबसे ज्यादा अनमोल होता है। इस रिश्ते के सामने दूसरा और कोई रिश्ता फीका लगता है। लेकिन पति-पत्नी का रिश्ता भी शब्दों में बांधकर तोल नहीं सकते। इस रिश्ते की अपनी ही एक अहमियत है।

शादी के बाद पति-पत्नी धीरे-धीरे अपने रिश्ते को आगे बढ़ाते हैं। आगे चलकर वे माता-पिता बनते हैं, फिर दादा-दादी या फिर नाना-नानी भी बनते हैं। लेकिन अंत में जब बच्चों की भी अपनी एक दुनिया बस जाती है तो फिर से वे केवल पति-पत्नी वाली दुनिया में ही आ जाते हैं। वे दोनों एक-दूसरे की ढाल बनते हैं।

रिश्ता अगर अच्छा हो तो शादी का ये बंधन सुखद लगता है, लेकिन अगर पति-पत्नी का आपस में तालमेल ना बैठे तो कुछ साल भी साथ में निकालना मुश्किल हो जाता है।

कहने को तो इस रिश्ते को जोड़े रखने के लिए या फिर टूट जाने के भी कई कारण होते हैं, लेकिन आचार्य चाणक्य के अनुसार कई बार पति अपनी पत्नी का या फिर पत्नी ही अपने पति की दुश्मन बन जाती है। लेकिन कैसे चलिए जानते हैं…….

पति या पत्नी जब अपने साथी को धोखा देने लगें तो ऐसी शादी को टूटने से कोई नहीं रोक सकता। पति हो या पत्नी, दोनों ही यदि शादी से बाहर जाकर नाजायज़ रिश्ता बनाएं, तो शादी में दरार उसी समय पड़ जाती है।

इसके बाद आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक ऐसी पत्नी जो अपने पति का दखल बर्दाश्त ना करे, जो यह कहे कि उसका एक अलग निजी जीवन है जिसमें पति हस्तक्षेप नहीं कर सकता, तो ऐसी परिस्थिति ही शादी के टूटने का कारण बनती है।

यही कारण पति के मामले में भी सामने आया है। पत्नी को अपने निजी मसलों से दूर रखना, उससे बातें शेयर ना करना, ये सब बातें धीरे-धीरे शादी के टूटने का कारण बनती हैं।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शादी केवल प्यार का या संबंधों का रिश्ता नहीं है, यह रिश्ता एक-दूसरे के प्रति सम्मान को भी पैदा करता है। अगर पति या पत्नी एक-दूजे को सम्मान नहीं देते, अपशब्द बोलते हैं, समाज में एक-दूजे की इज्जत नहीं करते, तो ऐसी शादी का कोई मतलब नहीं है।

चाणक्य ने बताया है कि पत्नी यदि केवल पति के धन की लालची बन जाए, जिसमें पति की भावनाओं का कोई सम्मान ना हो, रिश्ते की अहमियत ना जानती हो, तो ऐसी पत्नी शादी के रिश्ते को बर्बाद करके छोड़ती है।

लेकिन एक शादी को टूटने से कैसे बचाएं, शादी को सफल कैसे बनाएं, इस संदर्भ में भी आचार्य चाणक्य ने कुछ सूत्र प्रस्तुत किए हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में…….

आचार्य चाणक्य ने यह बताया है कि कैसे पुरुष या स्त्री से विवाह करें, इस बात पर ही शादी की सफलता निर्भर करती है। उनके अनुसार एक ऐसी स्त्री जो खूबसूरत तो है लेकिन एक अच्छे परिवार से नहीं है, तो ऐसी स्त्री से विवाह ना करें।

विवाह योग्य पुरुष को अपने ही परिवार जैसे परिवार या अपने से नीचे (आर्थिक रूप से) दर्ज़े के परिवार की लड़की से विवाह करना चाहिए। किंतु भूल से भी अपने से धनी परिवार की लड़की से विवाह ना करे। ऐसी स्त्री आपके घर को संभाल नहीं पाएगी।

विवाह योग्य स्त्री यदि खूबसूरत नहीं है लेकिन परिवार और शादी की अहमियत को समझती है, तो ऐसी स्त्री से विवाह करने के लिए इनकार ना करें।

शादी के समय यदि वर एवं वधु दोनों ही मानसिक रूप से जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं, एक दूसरे को आदर एवं प्यार देने के लिए राजी हैं, तभी विवाह के लिए आगे बढ़ें।

एक ऐसी स्त्री जो अपने पति को सम्मान दे और जानती हो कि समाज में पति की इज्जत कैसे करनी है, ऐसी स्त्री से ही विवाह करें।

ऐसी ही बात एक पति पर भी लागू होती है। एक पुरुष जो स्त्री का सम्मान करना जानता हो, उसके साथ बुरा व्यवहार ना करे, ऐसे ही पुरुष के साथ विवाह करना चाहिए। चाणक्य के अनुसार अपनी पत्नी पर हिंसा दिखाने वाला पति कभी जीवन में सफलता नहीं पाता।

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