“कौन है सच्चा मित्र और कौन दे रहा है धोखा” चाणक्य के बताए नुस्खों से परखें

चाणक्य ने अपने महान ग्रंथ ‘अर्थशास्त्र’ में इंसान को परखने का तरीका बताया है। यहां 4 तरीके बताए गए हैं, जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इन तरीकों से हमें एक-एक करके इंसान के चरित्र और स्वभाव के बारे में पता चलता है।

ऊपर से वह कैसा दिखाई देता है और अंदर से असल में वह क्या है, चाणक्य द्वारा बताए गए इन्हीं तरीकों के माध्यम से यह जाना जा सकता है। आचार्य चाणक्य ने अपने जीवनकाल में विभिन्न अनुभवों के बाद ही इन तरीकों को हमारे सामने अर्थशास्त्र ग्रंथ के माध्यम से प्रस्तुत किया है।

यदि हम इन चार तरीकों को गहराई से समझ लें और इन्हें कैसे प्रयोग में लाना है, यह जान लें तो हम भी किसी भी व्यक्ति के स्वभाव को आसानी से समझ सकते हैं।

इतना ही नहीं, चाणक्य द्वारा व्यक्ति को परखने की यह चार बातें हमें उसकी अच्छाई और बुराई से भी वाकिफ कराती हैं। इस तरह से ना केवल उसके स्वभाव को हम जानते हैं, वरन् विभिन्न परिस्थितियों में वह हमारे लिए फायदेमंद होगा या नुकसानदेह, यह भी जाना जा सकता है।

इसी सवाल में चाणक्य द्वारा व्यक्ति को परखने की पहली बात छिपी है, यानि कि यह पता लगाना कि सामने वाले व्यक्ति में त्याग की भावना है भी या नहीं।

त्याग का जीवन में क्या महत्व है, यह चाणक्य ने काफी बारीकी से समझाया है। चाणक्य कहते हैं कि किसी विशेष परिस्थिति में त्याग करने वाला व्यक्ति ‘श्रेष्ठ’ और दिल का अच्छा माना गया है।

यदि आपका कोई दोस्त, जीवनसाथी या कोई भी परिजन आपके लिए कुछ त्याग कर रहा है, तो आपको सदैव उसका आभारी रहना चाहिए। ऐसा परिजन पाना आपके लिए भाग्यशाली है।

चाणक्य कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति पर आप आसानी से भरोसा कर सकते हैं। क्योंकि यह वही व्यक्ति है जो अपने सुख की बजाय दूसरों के सुखों के बारे में अधिक सोचता है।

यह सच है कि आप पहली बार में किसी का चरित्र नहीं परख सकते, लेकिन कुछ समय साथ बिताने के बाद आप धीरे-धीरे उस व्यक्ति को जानने लगते हैं। व्यक्ति के चरित्र को गहराई से जानने के लिए आप विभिन्न परिस्थितियों से होकर गुजरते हैं।

इसी के दौरान आपको उसकी अच्छाई और बुराई का भी पता चलता है। साफ दिल वाले इंसान के साथ आपकी दोस्ती हमेशा अच्छी चलती है लेकिन दूषित व्यवहार वाला व्यक्ति आपको हर पल परेशानी में डालता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति का त्याग कर देना चाहिए।

इंसान को परखने का सबसे उत्तम तरीका है उसके गुण एवं अवगुणों के बारे में पता लगाना। चाणक्य कहते हैं कि एक सच्चा इंसान अपने अच्छे गुणों के कारण ही सच्चा कहलाता है। उसके अच्छे गुण ही उसे समाज में उत्तम बनाते हैं।

वह अपने गुणों के कारण समाज में प्रसिद्धि पाता है, लेकिन दूसरी ओर अवगुणों से भरपूर इंसान भी उतना ही प्रसिद्ध होता है। अंतर केवल इतना है कि वह अपने बुरे कृत्यों के कारण प्रसिद्ध होता है और समाज में उसकी छवि बहुत बुरी होती है।

जो व्यक्ति किसी का बुरा नहीं सोचता, अपने स्वार्थ के लिए झूठ नहीं बोलता, उसे अपने ज्ञान एवं सुंदरता पर अहंकार नहीं है, वह दूसरों के सुख का भी ख्याल रखता है, वही अच्छा इंसान है।

लेकिन दूसरी ओर केवल और केवल अपने बारे में सोचने वाला, एक स्वार्थी इंसान कभी किसी के लिए सही नहीं होता। वह क्रोधी होता है, उसमें अहंकार कूट-कूट कर भरा होता है, हर बात पर वह केवल अपने बारे में ही सोचता है, ऐसे इंसान से आपको दूरी बना लेनी चाहिए।

चाणक्य कहते हैं कि एक इंसान अपने अच्छे-बुरे कर्मों से ही बनता है। वह समाज में क्या है, यह केवल उसके कर्मों के कारण ही है।

एक दयालु इंसान अपनी दया भावना के कारण ही समाज में सिर उठाकर चलता है। वह दूसरों के बारे में सोचता है, इसलिए उसे बदले में सम्मान हासिल होता है। लेकिन दूसरी ओर एक हठी और अहंकारी इंसान को दुनिया भी बुरी नजर से देखती है।

समाज के लिए ऐसा इंसान अभिशाप है। क्योंकि वह जिस समाज में रहता है, उसी समाज में जहर घोलता है। यही कारण है कि लोग भी ऐसे व्यक्ति को समाज से काट देना चाहते हैं। लेकिन जो इनके मित्र बनते हैं, वे भारी नुकसान का सामना करते हैं।

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