आचार्य चाणक्य ऐसे महान ज्ञाता और दार्शनिक थे जिन्होंने आज से सैकड़ों साल पहले ही वर्तमान समय की रूपरेखा तैयार कर दी थी। उनके द्वारा बताए गए निर्देश और नियम आज के मनुष्य जीवन पर भी शत-प्रतिशत उसी ढंग से लागू किए जा सकते हैं जितना पहले हुआ करते थे।
चाणक्य को महान नीतिशास्त्री और अर्थशास्त्री का दर्जा प्राप्त है। उन्होंने महिला-पुरुष हर किसी के लिए कुछ ऐसे नियम बताए थे जिन पर अगर अमल किया जाए तो जीवन सार्थक हो सकता है। यकीन मानिए अगर उनके अनुसार जीवन यापन किया जाए या जीवन को उन्हीं के अनुसार सही दिशा दी जाए तो मानव जीवन बहुत हद तक परेशानी मुक्त हो सकता है।
हर कोई चाहता है कि उसका जीवन खुशी से बीत जाए, कोई परेशानी उसके रास्ते की रुकावट ना बन पाए। लेकिन आचार्य चाणक्य के अनुसार कुछ ऐसा है जो एक मनुष्य को इस कदर प्रताड़ित करता है, इस कदर परेशान करता है कि वह हर समय अपने अंत के विषय में सोचता है।
चाणक्य का कहना है कि मानसिक रूप से मजबूत और स्वभाव से रुक्ष माने जाने वाले पुरुष, जिनके विषय में कहा जाता है कि वे संवेदनाओं और भावनाओं से बहुत दूर होते हैं, जीवन में होने वाली कुछ घटनाओं की वजह से एकदम टूट जाते हैं।
जिन घटनाओं के विषय में हम बात करने जा रहे हैं वे कुछ ऐसी हैं जो किसी भी पुरुष को बिना आग के भी जला सकती हैं, अर्थात वह किसी भी पुरुष के लिए उसके अंत की तरह होती है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी कारणवश अगर पुरुष को अपनी पत्नी से दूर रहना पड़ता है तो यह उसके लिए बहुत कष्टप्रद होता है। तलाक हो जाए या पत्नी की असमय मृत्यु जैसे हालातों में पति मानसिक रूप से बेहद परेशान रहता है उनके अनुसार पत्नी का साथ छोड़कर जाना पति को अवसाद जैसे हालातों में पहुंचा सकता है।
जब अपने ही लोग दुश्मन बन जाएं, समाज में मान-सम्मान मिलना बंद हो जाए या दोस्त ही दुशमन बन जाएं तो ऐसे हालात किसी भी पुरुष को भीतर तक तोड़ देते हैं। परिवार का कटु व्यवहार एक पुरुष कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता।
जंग चाहे ऑफिस की हो या निजी जीवन की, अगर कोई पुरुष अपने दुश्मन को बचाने की भूल करता है तो यह उसके जीवन की एक बड़ी गलती साबित हो सकती है। अगर कोई आपका बुरा चाहता है या आपके विरुद्ध कोई कार्य करता है तो उसे दंड भुगतने के लिए छोड़ देना चाहिए ना कि उसकी सहायता करनी चाहिए।
जीवन में किसी गलत इंसान का साथ देकर पुरुष को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। अगर कोई पुरुष ऐसे व्यक्ति की ओर खड़ा होता है जो स्वभाव और नीयत से दुष्ट है तो इसका परिणाम उसके लिए नकारात्मक साबित होगा।
आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी धूर्त राजा का साथ देता है तो यह उसके संपूर्ण जीवन के लिए एक श्राप बन जाता है। हमें सिर्फ उन लोगों का साथ देना चाहिए जो ईमानदार हो और उनका चरित्र परिष्कृत हो।
पुरुष को गरीबी जैसे हालात अंदर से तोड़ देते हैं। जब उसे लगता है कि उसके जीवन में तंगी है और वह अपने परिवार और अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है तो यह उसे अवसाद के साये में ले जाता है। अगर आप चाहते हैं कि आपके साथ जिन्दगी में कभी ऐसा ना हो तो आपको धन अर्जित करने की आदत डालनी चाहिए।
अगर आप सत्ता की बागडोर संभाल रहे हैं और आपके साथ काम करने वाले लोग या आपकी सभा के लोग प्रबंधित नहीं हैं, उनमें योग्यता का अभाव है तो इसका खामियाजा खुद आप को ही भुगता पड़ेगा।
इन हालातों से बचने के लिए हमेशा एक बात का ध्यान रखें कि जितने भी लोग आपके साथ काम करने वाले हैं वे योग्य और हर तरह से काबिल हों।
एक पुरुष सबसे ज्यादा स्नेह अपने पुत्री से रखता है। जब उसे यह आभास होता है कि उसकी पुत्री विवाह के बाद एक खुशहाल जीवन नहीं बिता पा रही है तो यह उसे भीतरी तौर पर तोड़ देता है। इसलिए बेटी का कन्यादान करने से पहले एक बात अवश्य जांच परख लें कि उसका हाथ एक ऐसे हाथ में दें जो हर परिस्थिति में उसके साथ रहे और उसे खुश रखे।
पुत्री का विवाह और पुत्र का अपने पैरों पर खड़ा होना, एक पुरुष के जीवन में ये दो बातें बहुत मायने रखती हैं। अपनी संतान के जीवन में स्थायित्व देखना, उसे खुश देखना हर पुरुष की ख्वाहिश होती है। किसी कारणवश अगर यह संभव नहीं हो पाता तो उस पुरुष को आग से भी ज्यादा तड़पाता है।
मूर्ख व्यक्ति किसी के लिए भी काल बन सकता है। इसलिए किसी को भी दोस्ती करने से पहले या अपने साथ उसे जगह देने से पहले यह जांच लेना चाहिए कि जिस पर विश्वास किया जा रहा है वह उसके काबिल है भी या नहीं।
किसी के भी जीवन में शिक्षा एक जरूरी नियम है, लेकिन अगर किसी पुरुष के जीवन में इसका अभाव है तो वह किसी काबिल नहीं है। भले ही वह पुरुष शाही परिवार में जन्मा हो लेकिन अगर उसके पास शिक्षा नहीं है तो उसका जीवन अधूरा है।
जिस तरह कोयल की खूबसूरती उसकी आवाज में है उसी तरह पुरुष की खूबसूरती या उसकी संपूर्णता एक ऐसी पत्नी में है जो पूरी तरह उसके लिए समर्पित हो। अगर ऐसा नहीं है तो वह पुरुष हर समय आग के कुंड में तपता रहता है।
उपरोक्त बिंदु किसी भी पुरुष के जीवन की अवधारणा कहे जा सकते हैं। क्योंकि उसका जीवन इन्हीं के इर्द-गिर्द ही घूमता है|