इन दो कमियों के कारण पल-पल अपमान सहता है व्यक्ति

आचार्य चाणक्य की विभिन्न नीतियां हमारे लिए एक सीख की तरह हैं। इन्हें यदि हम जान लें, समझ लें और अपने जीवन पर अमल कर लें तो कई तरह के नुकसान से बचा जा सकता है। आपको कोई बड़ा नुकसान ना हो इसलिए आज हम आपको चाणक्य द्वारा बताई गई एक बात बताने जा रहे हैं।

जीवन में सबसे बड़ा नुकसान किस बात का? चाणक्य के अनुसार धन का नुकसान कोई बड़ा नुकसान नहीं कहलाता, रिश्तों का या प्यार का नुकसान भी उतना दर्द नहीं देता जितना दर्द तब होता है जब व्यक्ति का ‘अपमान’ होता है।

जी हां… व्यक्ति का अपमान यदि भरी भीड़ में हो जाए तो वह जीवन भर के लिए लज्जित हो जाता है। उसे ऐसा लगता है कि किसी ने एक पल में ही उसकी धन-दौलत छीन ली। स्वाभीमान से बड़ी कोई शोहरत नहीं होती, यह तो हम सब जानते हैं लेकिन इसे कैसे हाथ से निकलने ना दिया जाए यह किसी-किसी को ही पता है।

चाणक्य का मानना है कि दो परिस्थिति में व्यक्ति अपना पल भर में अपमान करवा बैठता है। यदि वह इन 2 परिस्थितियों को अक्भी अपने जीवन में आने ही ना दे तो उसका स्वाभीमान हमेशा उसी का होकर रह सकता है।

चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति के पास ज्ञान की कमी होगी उसका जीवन के हर मोड़ पर अपमान होगा। दुनिया उसे दरकिनार कर देगी और धीरे-धीरे उसके हाथ से हर अवसर निकलता चला जाएगा। इसलिए मूर्खता का त्याग कर हर किसी को ज्ञान की प्राप्ति करनी चाहिए।

जो व्यक्ति धन के लिए जीवन भर किसी पर निर्भर रहता है उसका पल-पल तिरस्कार होना लाजमी है। जिस व्यक्ति पर वह निर्भर होता है वह उसे तुच्छ मानने लगता है और उसपर निर्भरता के कारण ही विरोध कर पाना भी धन लेने वाले के वश में नहीं होता। वह केवल अपमान सह सकता है….

इसलिए चाणक्य यह सलाह देते हैं कि हर व्यक्ति के पास परस्पर ज्ञान और धन होना चाहिए ताकि वह अपने ‘स्वाभीमान’ की दौलत को हाथ से ना निकलने दे।

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