चाणक्य: मां के गर्भ में ही निर्धारित हो जाती हैं संतान से जुड़ी ये 4 बातें

भारत की जमीन ने कई ऐसे महानुभावों को जन्म दिया है, जिनका नाम ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी सदियों से प्रचलित है। दुनिया की प्राचीनतम संस्कृति वाले देश भारत में जितने भी लोगों ने जन्म लिया उनका लगभग हर क्षेत्र में आधिपत्य रहा है, जिसमें परंपरागत क्षेत्र जैसे धर्म और अध्यात्म तो शामिल हैं ही|

लेकिन साथ ही साथ जिन्हें अकसर मॉडर्न युग की देन समझ लिया जाता है उस पर भी बहुत पहले भारतीय अपना परचम लहरा चुके हैं। मेडिकल साइंस की बात करें या फिर अंतरिक्ष विज्ञान की, अर्थशास्त्र का जिक्र चले या फिर गणित के मुश्किल सवालातों को हल करने की बात हो, कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसका जिक्र बिना किसी भारतीय की उपलब्धि के हो जाए।

विशिष्ट रूप से अर्थशास्त्र या नीतिशास्त्र की बात करें तो आचार्य चाणक्य के बिना ये विषय भी अधूरे से लगते हैं। आचार्य चाणक्य को दुनिया का महान नीतिकार और अर्थशास्त्री माना जाता है।

विचार

भले ही इनका काल बीत चुका हो लेकिन इनकी बातें और इनके विचार आज भी शत-प्रतिशत रूप से उम्दा और सटीक साबित होते हैं, इतने सटीक कि नीतिशास्त्र या अर्थशास्त्र के विद्यार्थी इन्हें अपना आदर्श मानते हैं।

आचार्य चाणक्य ने जीवन के हर पहलू, हर संबंध पर अपनी गहरी पकड़ दिखाई है, विवाह हो या नौकरी, राजा हो या सेवक, पत्नी हो या प्रेमिका, हर किसी के लिए कुछ नियम और निर्देश निर्धारित किए हैं जिन पर अगर अमल किया जाए तो कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को सुखी और सहज बना सकता है।

स्त्रियों को लेकर आचार्य चाणक्य के विचार अकसर विवाद का हिस्सा रहे हैं। लेकिन यहां हम आपको चाणक्य नीति की कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो आपको वाकई प्रभावित करेंगी।

आचार्य चाणक्य का कहना था कि जब शिशु मां के गर्भ में होता है, तभी उसके जीवन की रूप रेखा तय हो जाती है। उसका जीवन कैसा होगा, कितना सुखद या दुखद होगा यह कुछ बातें गर्भ में ही निर्धारित हो जाती हैं।

चाणक्य का कहना था कि यूं तो हर किसी के हाथ में अपनी किस्मत होती है, कर्मों के आधार पर ही जीवन बनता और बिगड़ता है, लेकिन 4 बातें ऐसी होती हैं जिनका निर्धारण गर्भ में होता है, इसमें बच्चे का कर्म कोई मायने नहीं रखता।

तो चलिए जानते हैं अचार्य चाणक्य के अनुसार क्या हैं वो चार बातें:

आचार्य चाणक्य के अनुसार मां के गर्भ में ही शिशु की उम्र निर्धारित हो जाती है, वह कितने समय तक धरती का सुख भोगेगा, कितने वर्षों तक जीवित रहेगा, यह बात पहले ही तय हो जाती है।

इसके अलावा गर्भस्थ शिशु किस कार्य में निपुण होगा और किस कार्य में कभी भी सफल नहीं हो पाएगा, ये कुछ बातें भी मां के गर्भ में ही तय हो जाती हैं।

वह शिशु कितना धनवान बनेगा, यह बात भी उसके गर्भ में रहते हुए ही निर्धारित हो जाती है।

इसके अलावा वह शिशु किस दिन और किन हालातों में अपने प्राण त्यागेगा, यह बात भी उसके जन्म से पहले यानि कि गर्भ में रहते हुए ही निर्धारित हो जाती है।

इन सब बातों में शिशु के वर्तमान जीवन के कर्मों का कोई महत्व नहीं है, यह सब उसके जन्म से पहले ही तय हो जाते हैं।

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