आचार्य चाणक्य के अनुसार पति के जीवन में जहर घोल देती है ऐसी पत्नी जो…..

जब भी कभी महान ज्ञानी, महान अर्थशास्त्री और बेहतरीन नीतिशास्त्र का जिक्र उठता है तो सभी के जहन में केवल आचार्य चाणक्य का ही नाम आता है। चाणक्य एक ऐसे ऋषि रहे हैं जिन्होंने अपने कथनों से मानव मस्तिष्क को बहुत प्रबहवित किया है, उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र से जुड़े विषयों पर अपने विचार रखे हैं जो आज भी बहुत से लोगों के लिए आदर्श हैं।

कहा जाता है एक सफल नीतिशास्त्र वही हो सकता है जो अपने हृदय पर नियंत्रण स्थापित कर अपने मस्तिष्क को स्वतंत्र रूप से कार्य करने दे ताकि कोई भी सही निर्णय लेने के बीच भावनाएं आड़े ना आएं।

सामान्य से बालक को छत्रपति सम्राट बनाने वाले आचार्य चाणक्य ने शिक्षा से लेकर प्रेम संबंधों जैसे विषय पर अपने विकाहर रखे थे। उनके अनुसार जीवन में सफलता वही हासिल कर सकता है जो अपने मस्तिष्क को हमेशा खोलकर रखे और अपने आसपास की घटनाओं पर नजर रखे।

जहां तक प्रेम संबंधों की बात है तो प्राय: यही माना जाता है कि महिलाओं के सामने पुरुष अकसर कमजोर बन जाते हैं। आचार्य चाणक्य का मानना था कि अगर स्त्री चाहे तो वह पुरुष के जीवन में खुशियां भर सकती हैं लेकिन अगर वह किसी पुरुष को बर्बाद करना चाहे तो उसके जीवन में ऐसा विष घोल सकती है जो उसे पूरी तरह तबाह कर देगा।

इसके अलावा आचार्य चाणक्य का यह भी कहना था कि ऐसी चार चीजे हैं जो किसी पुरुष के जीवन में जहर घोल सकती हैं।

उन चीजों के प्रभाव को वह पुरुष कैसे कम करता है, कैसे खुद को उभारता है…यही बात उसकी सफलता की नींव रखती है। तो चलिए जानते हैं क्या हैं वो चीजें।

चाणक्य के अनुसार संस्कारों से अनभिज्ञ व्यक्ति का जीवन जहरीली नदी के समान होता है। जिस पुरुष को शिक्षा में दिलचस्पी नहीं है, शास्त्रों का ज्ञान नहीं है, वह व्यक्ति अपने जीवन में स्वयं जहर घोल रहा होता है। उसकी यह कमी उसे दूसरों के सामने निंदा और शर्मिंदगी का पात्र बनाती हैं।

ऐसा व्यक्ति जिसका उदर ठीक नहीं है, जिसे पेट की समस्याएं हैं उसके लिए भोजन जहर या विषय के समान होता है। भोजन करने से उसके भीतर सड़न उत्पन्न होने लगती है। जिस पुरुष का पाचन तंत्र सही ना हो उसे हमेशा सादा भोजन करना चाहिए, अन्यथा भोजन ही उसके लिए जहर बन जाएगा।

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है, जो व्यक्ति अपना शरीर स्वस्थ नहीं रख पाता वह जीवन में कभी सफल नहीं हो सकता।

पुरुष के भीतर पनप रहा लालच उसके जीवन में जहर घोल देता है। अपने स्तर को ना पहचानते हुए अगर कोई व्यक्ति केवल दिखावा करने के लिए ऊपर उठता है तो वह अपने साथ-साथ अपने परिवार की खुशियों में भी जहर घोलता है।

पुरुष को हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए, अपने पास जो है उसकी कद्र ना करना और दूसरों के समक्ष दिखावा करना…..ये बात किसी के लिए भी हितकर नहीं है।

अगर कोई पुरुष वासना के वशीभूत होकर अपने से बहुत छोटी स्त्री से विवाह कर लेता है तो यह उसके भविष्य के लिए खतरा पैदा कर सकता है। विवाह केवल उन्हीं लोगों का सफल हो सकता है जिनके बीच उम्र का अंतर ज्यादा ना हो, विवाहित जोड़े में उम्र का ज्यादा अंतर संबंध में जहर का कार्य करता है।

अपनी उम्र से बहुत छोटी युवति से विवाह करने वाले पुरुष समाज में कभी सम्मान नहीं पाते, वह पुरुष कभी स्त्री की शारीरिक इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाता, जिस कारण उनके संबंध में किसी तीसरे के आगमन की संभावना भी प्रबल रहती है। वह स्त्री अपने उम्र के किसी पुरुष के लिए उसे छोड़ सकती है।

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