इन हलातों में टूट जाते हैं पुरुष, तड़पकर बिताते हैं पूरा जीवन

एक आम धारणा में पुरुषों को दिल से मजबूत माना जाता है। महिलाओं की तरह वे बहुत अधिक भावुक नहीं होते और इसीलिए कठिन परिस्थितियों में भी वे विचलित नहीं होते हैं। लेकिन यह उनका बाह्य रूप है, हकीकत यह है कि कई ऐसी परिस्थितियां हैं जब वे भले ही बाहर से सामान्य दिखें लेकिन अंदर से टूट जाते हैं।

ऐसे में वे निराशा के भी शिकार हो जाते हैं और उनका काम भी बुरा प्रभावित होता है। राजनीति और समाजशास्त्र के विद्वान चाणक्य ने अन्य बातों के साथ इसकी भी चर्चा की है। आगे हम उन 5 स्थितियों के बारे में बता रहे हैं जो पुरुषों को बुरी तरह तोड़ देते हैं और जीवन में आगे बढ़ना एक प्रकार से उनके लिए मुश्किल हो जाता है…

दुनिया के लगभग हर हिस्से में हमारी समाजिक व्यवस्था कुछ इस प्रकार की है कि पुरुषों को परिवार की सभी प्रकार की आर्थिक जरूरतों की जिम्मेदारी उठाने वाला माना जाता है। भले ही आज माहौल में बहुत बदलाव आया है और अब पत्नियां भी पति के साथ इसमें बराबर की भागीदारी निभाने लगी हैं, लेकिन समान्य सोच में आज भी पुरुष इसे अपने मान के साथ जोड़ते हैं।

यही वजह है कि अगर वे परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरे करने में सक्षम ना हों या अक्षम महसूस करें तो यह उनके अंतर्मन को रुलाने वाला साबित होता है। यह उनका आत्मविश्वास तोड़ता है और वे समाज तथा परिवार से भी कटने लगते हैं।

अलग-अलग व्यक्तियों में इसका आधिक्य या कमी हो सकती है लेकिन यह सत्य है कि पुरुषों में एक अहम का भाव होता है। वे खुद को किसी से कमतर महसूस करना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते। इसलिए अगर कभी ऐसे हालात आएं जब उनकी योग्यता दूसरों से कम लगने लगे या दूसरे अपनी योग्यता के बूते उनसे आगे बढ़ जाएं तो यह मानसिक रूप से उन्हें बहुत अधिक अशांत करता है।

पुरुष भले ही भावनात्मक रूप से महिलाओं से अधिक मजबूत हों लेकिन जीवनसाथी का वियोग उन्हें अंदर से तोड़ देता है। इसकी एक वजह शायद यह भी हो कि वे बहुत अधिक किसी से बातें शेयर नहीं कर पाते। क्योंकि पत्नी उनके हर काम में सहभागी होती हैं, उनसे वे खुलकर बात कर पाते हैं।

इसलिए जब जीवनसाथी से वियोग की बात आती है तो महिलाएं जहां मानसिक और भवनात्मक रूप से अधिक धैर्य का परिचय देती हैं, पुरुषों के लिए लंबे समय तक इस सदमे से निकलना बेहद मुश्किल होता है।

पुरुषों को अपने सम्मान से बहुत प्यार होता है और सबसे पहले वे इसे अपने घर में ही पाना चाहते हैं। इसलिए अगर कभी किसी भी वजह से उन्हें परिवार की बेरुखी का सामना करना पड़े तो यह उनके लिए बेहद तकलीफदेह होता है।

पुरुषों के बारे में एक आम धारणा यह भी है कि वे समान्य जीवन की बातों को बहुत अधिक नहीं खींचते जैसा महिलाएं करती हैं, लेकिन एक पक्ष यह भी है कि एक बार अगर किसी के लिए उनके मन में कोई बात आ जाए तो उसे निकालना भी फिर उनके लिए उतना ही मुश्किल होता है।

इसलिए अगर कभी कोई पुरुष किसी से अपनी दुश्मनी भुलाकर उसकी मदद करे और बदले में उसे धोखा मिले तो फिर चाहे उस इंसान से उनका करीब का कोई रिश्ता ना भी हो, फिर भी यह उनके लिए भावनात्मक चोट की तरह होता है जो उन्हें तोड़ देता है और इस सदमे से वे उम्र भर निकल नहीं पाते।

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