यदि आप मनुष्य है तो आपके जीवन में सुख और दुख दोनों होंगे। ऐसे में समझदारी यही है कि आप इन परिस्थितियों से बेहतर तरीके से तालमेल बैठाते हुए निर्णय लें। महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य ने सदियों पहले कुछ ऐसी ही बातें बताईं थी जो आज भी कारगर हैं।
चाणक्य कहते हैं…
यदि आप पर मुसीबत आती नहीं है तो उससे सावधान रहें। लेकिन यदि मुसीबत आ जाती है तो किसी भी तरह उससे छुटकारा पाएं।
जो आधा पढ़ा हुआ व्यक्ति है वो मीठे बोल बोल नहीं सकता। जो सीधी बात करता है वह धोखा नहीं दे सकता है।
सोने की परख उसे घिस कर, काट कर, गरम कर और पीट कर की जाती है। उसी तरह व्यक्ति का परीक्षण वह कितना त्याग करता है, उसका आचरण कैसा है, उसमें गुण कौन से हैं और उसका व्यवहार कैसा है इससे होता है।
धर्मं की रक्षा पैसे से होती है। ज्ञान की रक्षा जमकर आजमाने से होती है। राजा से रक्षा उसकी बात मानने से होती है। घर की रक्षा दक्ष गृहिणी से होती है।
सत्य की शक्ति ही इस दुनिया को धारण करती है।
सत्य की शक्ति से ही सूर्य प्रकाशमान है, हवाएं चलती हैं, सब कुछ सत्य पर आश्रित है।
दान गरीबी को समाप्त करता है। अच्छा आचरण दुःख को मिटाता है। विवेक अज्ञान को नष्ट करता है। जानकारी भय को समाप्त करती है।