चाणक्य के एक दोहे से समझा जा सकता है कि मनुष्य को किन चीजों से संतोष रखना चाहिए और किन चीजों से कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए-तीन ठौर संतोष कर, तिय भोजन धन माहिं।दानन में अध्ययन में, जप में कीजै नाहिं।।
इन चीजों से संतुष्ट रहना चाहिए
अपनी स्त्री (पत्नी)हर व्यक्ति को अपनी पत्नी से ही संतुष्ट रहना चाहिए। दूसरी स्त्रियों के पीछे नहीं भागना चाहिए। दूसरी स्त्रियों पर ध्यान देने वाले व्यक्ति की पत्नी उससे नाराज रहती है। ऐसे में कई बार पति-पत्नी का रिश्ता तक टूट जाता है। इसीलिए अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बनाए रखने के लिए व्यक्ति को अपनी पत्नी से संतुष्ट रहना चाहिए।