आचार्य चाणक्य ने ऐसी स्थितियां भी बताई हैं, जब नहाना जरूरी होता है।

वैसे तो स्नान करना मनुष्य की दिनचर्या का हिस्सा है। सुबह उठकर सबसे पहला काम स्नान ही होता है। लेकिन आचार्य चाणक्य ने कुछ और ऐसी स्थितियां भी बताई हैं, जब नहाना जरूरी होता है।

आचार्य चाणक्य ने 4 ऐसे काम बताए हैं, जिन्हें करने के बाद स्त्री हो या पुरुष सभी को अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से नहा लेना चाहिए।

शवयात्रा के बाद स्नान करना जरूरी है

यदि कोई व्यक्ति किसी मृत इंसान की अंतिम यात्रा में जाता है या शमशान जाता है तो वहां से आने के तुरंत बाद भी नहा लेना चाहिए। शमशान के वातावरण में कई प्रकार के कीटाणु रहते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। शमशान जाने पर ये कीटाणु हमारे बालों में और कपड़ों पर चिपक जाते हैं, यदि इन्हें साफ न किया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। अत: वहां से घर आकर तुरंत नहा लेना स्वास्थ्य के लिए श्रेष्ठ रहता है।

काम क्रिया के बाद स्नान जरूरी है

स्त्री हो या पुरुष काम क्रिया के बाद भी नहाना जरूरी माना गया है।

इस काम के बाद स्त्री और पुरुष दोनों ही अपवित्र हो जाते हैं। इसके बाद जब तक नहाएंगे नहीं, किसी भी धार्मिक कार्य के लिए योग्य नहीं हो सकते हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार इस काम के बाद बिना नहाए, कहीं बाहर नहीं जाना चाहिए।

बाल कटवाने के बाद स्नान जरूरी है

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हजामत (बाल कटवाना) करवाने के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। बाल कटवाने के बाद पूरे शरीर पर छोटे-छोटे बाल चिपक जाते हैं जो कि नहाने के बाद ही शरीर से साफ हो सकते हैं। हजामत क्रिया के बाद बिना नहाए कोई भी धार्मिक कर्म नहीं करना चाहिए।

चाणक्य ने बताया है कि स्वस्थ शरीर और चमकदार त्वचा के लिए जरूरी है कि सप्ताह में कम से कम एक बार पूरे शरीर की तेल मालिश की जानी चाहिए। तेल मालिश के बाद शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं और अंदर का मेल बाहर निकल जाता है। इसीलिए तेल मालिश के तुरंत बाद नहा लेना चाहिए। इससे शरीर का मेल और तेल साफ हो जाता है। त्वचा में चमक आती है। तेल मालिश के बाद बिना नहाए बाहर जाना अशुभ माना जाता है।

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