दुष्ट से कैसे बचे?

चाणक्य ने चाणक्य नीति द्वारा कुछ ऐसी बातें भी बताई हैं, जो व्यवहारिक ज्ञान के समान है। इन्हें हम आसपास रहने वाले कुटिल लोगों पर आजमाकर सुख पूर्वक जिंदगी जी सकते हैं। आम दिनचर्या में यह बातें काफी मददगार साबित होती हैं। लेकिन इनका उपयोग सही प्रयोजन के साथ किया जाए तभी इनकी श्रेष्ठता सिद्ध होती है!

व्यक्ति को इन तीन चीजों से कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए। पहली- अभ्यास। दूसरी- परोपकार और तीसरी- भगवान का स्मरण।

जो व्यक्ति आर्थिक व्यवहार करने में, ज्ञान अर्जन करने में, खाने में और कार्य करने में शर्माता नहीं है वो सुखी हो जाता है।

एक बुद्धिमान व्यक्ति को ये पांच बातें किसी को नहीं बतानी चाहिए। पहली बात- उसकी दौलत खो चुकी हो। दूसरी बात- उसे क्रोध आता हो। तीसरी बात- उसकी पत्नी उसके साथ गलत व्यवहार करती हो। चौथी बात- लोगों ने कभी उसे अभद्र तरीके से अपमानित किया हो। और पांचवी बात- वह कभी बेइज्जत हुआ हो।

अपने व्यवहार में बहुत सीधे ना रहें।

क्योंकि वन में जो पेड़ सीधे रहते हैं उन्हें काट लिया जाता है और जो पेड़ आड़े तिरछे है वो खड़े रहते हैं।

व्यक्ति इन तीन चीजों से संतुष्ट रहता है। पहला- स्वयं की पत्नी। दूसरी- वह भोजन जो भगवान ने दिया है। और तीसरी- उतना धन जितना ईमानदारी से मिल गया हो।

जिस तरह एक फूल में खुशबू होती है। तिल में तेल होता है। लकड़ी को जलाने पर अग्नि प्रकट होती है। दूध से घी बनाया जाता है। गन्‍ने से गुड़ तैयार किया जाता है। ठीक उसी प्रकार हर व्यक्ति में परमात्मा का निवास होता है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को दुःखी मत कीजिए।

एक शक्तिशाली आदमी से उसकी बात मानकर समझौता करें। एक दुष्ट का प्रतिकार करें। और जिनकी शक्ति आपकी शक्ति के बराबर है उनसे विनम्रता से या कठोरता से ही सही समझौता करें।

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