आचार्य चाणक्य ने एक नीति में 3 ऐसे लोग बताए हैं, जिनका भला करने पर भी हमें दुख ही मिलता है। इस कारण इन लोगों से दूर रहने में ही समझदारी है। यहां जानिए ये 3 लोग कौन हैं…
1. मूर्ख व्यक्तिआचार्य ने जिन लोगों से दूर रहने की बात कही है, उसमें पहला व्यक्ति है मूर्ख। यदि कोई व्यक्ति मूर्ख है तो उससे दूर रहना चाहिए। मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान या उपदेश भी नहीं देना चाहिए। हम मूर्ख को ज्ञान देकर उसका भला करना चाहते हैं, लेकिन मूर्ख व्यक्ति इस बात को समझता नहीं है। बुद्धिहीन लोग ज्ञान की बातों में भी व्यर्थ तर्क-वितर्क करते हैं, जिससे हमारा समय फिजूल खर्च होता है। मूर्ख इंसान को समझाने पर हमें ही मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। इसीलिए ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए।
2. बुरे स्वभाव वाला व्यक्तियदि कोई स्त्री या पुरुष बुरे स्वभाव या चरित्र वाले हैं तो इनसे दूर रहने में ही समझदारी है। ऐसी लोगों का पालन करने पर या इनकी मदद करने पर भी सुख प्राप्त नहीं हो सकता है।
यदि ऐसी लोगों के संपर्क में रहेंगे तो समाज और घर-परिवार में समझदार व्यक्ति को भी अपमान मिल सकता है। जो लोग धर्म से भटक जाते हैं, वे स्वयं तो पाप करते ही हैं और दूसरों को भी पाप के रास्ते पर ले जाते हैं। इसीलिए ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए!
3. हमेशा बिना वजह दुखी रहने वाला व्यक्तिआचार्य कहते हैं कि जो लोग भगवान के दिए हुए जीवन और सुखों से संतुष्ट नहीं होते हैं और हमेशा ही दुखी रहते हैं, उनसे भी दूर रहना चाहिए। इन लोगों के साथ रहने पर हमें भी दुख ही मिलता है। समझदार इंसान को जो मिल जाता है, वह उसी में संतोष प्राप्त कर लेता है और खुश रहता है। बिना वजह दुखी रहने वाले लोग, दूसरों के सुख से भी ईर्ष्या करते हैं और दूसरों को कोसते रहते हैं। ऐसे लोग खुद कुछ भी प्रयास नहीं करते हैं और दुखी रहते हैं। इस प्रकार ईर्ष्या भाव रखने वाले और बिना वजह ही हमेशा दुखी रहने वाले लोगों से भी दूर रहने में हमारी भलाई है।