आपके लिए जो घातक है वे आपके काम-धाम नहीं हैं। बात बस इतनी है कि आप अपने विचारों और भावनाओं में बहुत बुरी तरह से उलझ गए हैं।
सिर्फ शरीर, दिमाग और भावनाओं को ही किसी के संग की जरूरत होती है – सीमित की यही प्रकृति है। पर अगर आप गहराई में जाकर देखें तो असीम (जाे सीमित नहीं है) को किसी के संग की जरूरत नहीं होती।
अगर आपकी कोई भागीदारी नहीं है, तो कोई आध्यात्मिक प्रक्रिया भी नहीं होगी। यह भागीदारी से ही होती है, किसी कार्य-विशेष से नहीं।
गुस्सा, डर और नाराजगी, ये सभी आपकी विवशता की उपज हैं। आपको जिससे परे जाना है, वह आपकी विवशता ही है।
श्रद्धा प्रेम से पैदा होती है। विश्वास हिसाब-किताब लगाने से पैदा होता है – इसका संबंध सुरक्षा, बचाव और सुविधा से है।
अपनी सीमाओं और संभावनाओं को ठीक से समझे बिना आप अगला कदम नहीं उठा सकते।
आपकी शिक्षा, आपका परिवार, आपका घर, और बाकी सब कुछ बस सहायक चीजें हैं। जीवन में जो सबसे कीमती चीज है वह खुद जीवन है।
अगर आप अपने जीवन में ‘ईशा योग’ के हर पहलू पर पूरी तरह से अमल करते हैं, तो यह खुद में एक संपूर्ण मार्ग है।
समाज जैसी कोई चीज नहीं होती। सिर्फ अलग-अलग मनुष्य होते हैं।
दुनिया चाहती है कि आप सुखद बनें। लेकिन आध्यात्मिक प्रक्रिया जीवन को रूपांतरित करने के बारे में है, न कि अच्छे बर्ताव के बारे में।
लोगों की “आज़ादी” की समझ पूरी तरह से बिगड़ी हुई है। अपनी विवशताओं के आगे घुटने टेक देना आज़ादी नहीं है।
जो भी चीज आपके जीवन को पोषित करती है और बनाए रखती है – वह ईश्वरीय है।
धरती माता बहुत उदार हैं। अगर हम सिर्फ उसे एक मौका दें, तो वह फिर से सबकुछ भर देगी- पूरी प्रचुरता और सुंदरता के साथ।
ज्यादा काम करने से सफलता नहीं मिलती है। यह सही चीजें करने से मिलती है।
आप जो गिन सकते हैं, उसका जीवन में सबसे कम महत्व है। आप जो गिन नहीं सकते, वही वाकई मायने रखता है।