इस ब्रह्मांड में काफी कुछ घ्वनि है, और उससे भी कहीं ज्यादा मौन है।
जब आप देने के लिए अपना हृदय खोल देते हैं, तो ईश्वर की कृपा हर हाल में इसमें समाने लगती है।
प्राकृतिक आपदा जैसी कोई चीज़ नहीं होती। बहुत ज्यादा जनसंख्या ही आपदा है।
चाहे जो भी घटित होता है, सवाल यह है कि क्या आप एक बेहतर इंसान बन रहे हैं – ज्यादा स्थिर, ज्यादा खुशहाल, अपने भीतर ज्यादा स्पष्ट?
आपका व्यक्तित्व, आपका एक बनावटी रूप है। इसमें आप जितना ज्यादा निवेश करते हैं, आप उतना ही अधुरा और असुरक्षित महसूस करते हैं।
ये भावनाएं ही हैं जो आपके जीवन को प्रवाह देती हैं। वे समस्या सिर्फ तभी बनती हैं, जब वे बेकाबू हो जाती हैं।
साधना चाहे कितनी भी साधारण हो, अगर आप इसे हर दिन करते हैं, तो धीरे-धीरे, कदम-दर-कदम, यह आपके भीतर एक नये स्तीर की आजादी पैदा करती है।
इस दिन गुरु की भरपूर कृपा होती है। अगर आप वाकई इच्छुक हैं तो आपके लिए सृष्टि का हर दरवाजा खुला है। मैं आपके साथ हूं प्रेम व प्रसाद.
आप बहुत ज्यादा जीवंत बन सकते हैं, लेकिन आप जीवन से ज्यादा नहीं हो सकते। आप जीवन के विभिन्न आयामों की खोज करें।
अगर आप लोगों से खुशी निचोड़ने की कोशिश करते हैं तो सिर्फ पीड़ा ही मिलेगी।
सत्यनिष्ठ व चरित्रवान होने का अर्थ है – आप जो कहते हैं, आप जो करते हैं, आप जो सोचते हैं, और आप अपने आसपास जीवन के बारे में जो महसूस करते हैं – इन सब के बीच सामंजस्य है।
यह महत्वपूर्ण है कि आप न तो किसी चीज को ऊंचा समझें और न ही किसी चीज को नीचा। हर चीज को वैसे ही देखना, जैसी वह है – यही असली दूरदर्शिता है।
खेलना ही जीना है, और जीना ही खेलना है।
हर इंसान में कोई न कोई प्रतिभा है, लेकिन लोग दूसरों जैसा बनने की कोशिश में इसे नष्ट कर देते हैं।
अपने प्रेम, अपनी खुशी और अपने उल्लास को रोककर मत रखें। आप जो देते हैं, वही आपका गुण बन जाता है, न कि वह जो आप रोक कर रखते हैं।