गुरु एक उत्प्रेरक है। उसकी मौजूदगी आध्यात्मिक प्रक्रिया को सक्रीय करती है, ऊँचा उठाती है, और तीव्र करती है।
गणित का आविष्कार किसी कक्षा में नहीं हुआ। यह ब्रह्माण्ड की प्रकृति में ही मौजूद है।
जब बुद्धि भक्ति, प्रेम और सहभागिता से संतुलित होती है, सिर्फ तभी यह एक अच्छी चीज़ है। वरना यह खुद में एक सिरदर्द है।
हमारे राह में चाहे जो भी आए, हम उसका कैसे उत्तर देते हैं, और उसको कौन सा रूप देते हैं – यह सौ प्रतिशत हमारे ऊपर है।
मेरी कामना है कि दुनिया के सभी धर्म एक संयुक्त और सामंजस्यपूर्ण दुनिया बनाने के लिए प्रयत्न करें
कोई भी रिश्ता पक्कान नहीं होता – यह हरदम बदलता रहता है। आपको हर रोज इसे ठीक तरह से निभाना होता है।
किसी को दण्ड देने की कोशिश में, आप अंतत: खुद को ही दण्ड दे बैठते हैं।
आप इस दुनिया के लिए जो सबसे अच्छी चीज़ कर सकते हैं, वह है खुद को एक प्रसन्न और आनंदित इंसान बनाना।
आध्यात्मिक आन्दोलनों को अगर कारगर होना है, तो इन्हें किसी संस्कृति, धर्म, मत या धर्मग्रन्थ से अपनी पहचान नहीं बनानी चाहिए।
इंसान खुद को बहुत बड़ा समझने लगे हैं। यहां जो कुछ भी हो रहा है, हम उसका बस एक छोटा सा हिस्सा हैं।
अगर आप अपनी उर्जाओं को अच्छील तरह से संभालना जानते हैं, तो आपको हर काम में निश्चित रूप से सफलता मिलेगी।
आप चाहे आनंद में रहें या पीड़ा में, आप चाहे नाचें या रेंगें, समय तो अपनी रफ़्तार से बीतता ही जाएगा। नव वर्ष के आगमन के साथ आप अपने अंदर तीव्र इच्छाा जगाएं – ऊपर उठने और तेजस्वीअ बनने की। प्रेम और प्रसाद.
अपने प्रेम को बढ़ाएं! जब हम पूरे ब्रह्माण्ड से प्रेम कर सकते हैं तो सिर्फ एक ही इंसान से प्रेम क्योंस करें।
गैरजिम्मेदार ढंग से बच्चे पैदा करने से भयंकर स्थिति पैदा हो रही है। जो औरतें जान-बूझकर बच्चे पैदा न करने का निर्णय लेती हैं, उन्हें पुरस्कार मिलना चाहिए।
आत्मज्ञान की आकांक्षा न कीजिए। आकांक्षा तो अपनी सीमाओं से जल्द से जल्द ऊपर उठने की होनी चाहिए।