अधिकतर लोग अहंकार के प्रति संवेदनशील होते हैं, जीवन के प्रति नहीं।
आपके विचार और भावनाएं वो ड्रामा हैं जो आप अपने दिमाग में रचते हैं। आपको इसे कहीं न कहीं खत्म करने के काबिल होना होगा।
आप जो ब्रह्मांड देखते हैं, वह एक जीवंत दिमाग है – इस में प्रज्ञा है।
एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने से कहीं ज्यादा शक्तिशाली होता है एक दूसरे को सहयोग करना। यह मत सोचें कि जब आपके उपर खूब दबाव डाला जाएगा, तभी आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे।
जैसे ही आप अपने आस पास के जीवन से बेपरवाह हो कर काम करने लगते हैं, आप एक अपराधी बन जाते हैं।
आधुनिक विज्ञान का महत्व इसकी उपयोगिता को लेकर है, पर यह इंसान को अस्तित्व का अनुभव नहीं करा सकता।
अगर आप कोई योग करते हैं और वह आपके भीतर ऊर्जा-ढांचे को नहीं बदल देता, तो मैं कहूंगा कि आप उसमें वक्त बरबाद न करें।
अगर आप अतीत में जीने की कोशिश करते हैं, तो जो ‘अभी है’ वो आपके हाथ से निकल जाएगा।
इस दुनिया के साथ मेरा नाता नाममात्र का ही है, पर फिर भी मैं खुलकर हिस्सा ले रहा हूं।
यह वाकई सुंदर होता अगर यह दुनिया छोटे बच्चों के मार्गदर्शन में चलाई जाती, क्योंकि वे दूसरे किसी भी व्यनक्ति से अधिक जीवन के नजदीक हैं।
अगर आप सफल होना चाहते हैं, तो सफलता को खोजिए मत – योग्य और समर्थ बनिए; आप जो सर्वोत्तम कर सकते हैं, उससे थोड़ा भी कम मत कीजिए।
जीवन का क्या अर्थ है? यह इतनी विशाल घटना है कि किसी भी अर्थ में ‘फिट’ नहीं होती।
वह सब कुछ, जिसका सृजन किया जा सकता है, सृष्टि में पहले ही किया जा चुका है। एक इंसान के तौर पर हम सिर्फ नकल कर सकते हैं, सही मायनों में सृजन नहीं कर सकते।
अपने फोन के जरिए हर चीज को देखने से आप बोध के स्तर पर सुन्न होते जा रहे हैं – यह आपके जीवन के अनुभव को किसी भी तरह से समृद्ध नहीं बनाता।
एक इंसान के भीतर जिस तरह की संभावना होती है, उस हिसाब से यह जीवन बहुत छोटा है।