अज्ञान एक अनंत वास्तविकता है। आपको जो अभी तक जानना बाकी है, वो एक असीम संभावना है।
अस्तित्व में हर चीज निरंतर गतिशील है। आप या तो इन चीज़ों के साथ चलते रहें, या इनसे ऊपर उठ जाएं।
आज के दिन, गौतम बुद्ध को यह बोध हुआ कि आत्म-ज्ञान के लिए सिर्फ एक चीज़ की जरूरत होती है – इसे अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ- प्राथमिकता बना लेना होगा।
अगर आप ये समझ जाते हैं कि इस विशाल ब्रह्मांड में आप एक तुच्छ प्राणी हैं, तो आप अपना जीवन शिष्ट तापूर्वक जीएंगे। मेरी कामना है कि आप जिस भी चीज़ के संपर्क में आएं, वो आपके लिए आशीर्वाद बन जाए।
बिना संपूर्ण समपर्ण के किसी भी चीज में महारत हासिल नहीं होती।
जो चीज अच्छी है, हो सकता है वह हरेक को खुश न कर सके – जो सुखद है, हो सकता है वह हरेक को अच्छा न लगे।
क्या आप अपने भीतर जहर पैदा कर रहे हैं, या चैतन्य की सुगंध? यही आपके पास विकल्प है।
वैवाहिक सम्बन्धों में बिलकुल विपरीत उम्मीदें होती हैं। औरत उम्मीद करती है कि आदमी बदले। आदमी उम्मीद करता है कि औरत कभी न बदले। यही आपके पास विकल्प है।
आसनों को अगर सही तरीके से किया जाए, तो हर आसन ऊर्जा की एक प्रक्रिया है।
आध्यात्मिकता का सम्बन्ध उस वातावरण से नहीं है, जिसमें आप रहते हैं। आध्यात्मिकता उस वातावरण से सम्बंधित है, जिसे आप अपने भीतर बनाते हैं।
आसक्ति सिर्फ उन्हीं लोगों से नहीं होती जिन्हें आप पसंद या प्रेम करते हैं। आपकी आसक्ति उनसे कहीं ज्यादा होती है, जिन्हें आप नापसंद या घृणा करते हैं।
हम अपनी हर सांस के साथ कब्र के एक कदम नज़दीक पहुँच जाते हैं। शरीर और दिमाग से परे के आयाम को खोजने का यही वक़्त है।
लोकतंत्र का मतलब है – अपने देश को रहने के लिए एक शानदार जगह बनाने हेतु, हम सभी सक्रियता से हिस्सा लें, न कि उंगलियाँ उठाएं।
चैतन्य या ईश्वर, शराब से कहीं ज्यादा मदहोश करने वाला होता है।
सारी बुराइयां उन लोगों से आती हैंं, जो खुशहाली का मतलब – सिर्फ अपनी, अपने परिवार, समुदाय, जाति, धर्म या अपने देश की खुशहाली मानते हैं।