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आपके भीतर का जीवन दुःखी नहीं हो सकता। दुःख तो मन में पैदा होते हैं।
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आध्यात्मिक प्रक्रिया के लिए पहली बुनियादी चीज यह है कि आप अपनी सभी पूर्वधारणाएं छोड़ दें।
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एक बार जब आप अपनी प्राथमिकता को ‘पाना – करना- स्थित होना’ से ‘स्थित होना – करना – पाना’ में बदल देते हैं, तब आपका भाग्य आपके हाथ में आ जाता है।
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हर किसी के सपने होते हैं, लेकिन कितने लोग इन सपनों को साकार करने के लिए अपनी जिंदगी तक दांव पर लगाने को तैयार होते हैं?
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आपकी राय आंखों के मोतियाबिंद की तरह है – निश्चित रूप से यह अपने बोध को बढ़ाने का तरीका नहीं है।
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जीवन का मकसद सिर्फ जीवन है। जीवन के सारे आयामों को अनुभव करने से ही परिपूर्णता का एहसास होता है।
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अंतत: योग का मतलब अपनी सारी सीमाओं को मिटाना और आज़ादी को जानना है।
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नेतृत्व करना कोई महत्वाकांक्षा नहीं होनी चाहिए। नेतृत्व योग्यता पर आधारित होना चाहिए।
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आप जो भी करें, स्टाइल में करें। लेकिन ये जरूरी नहीं कि सब कुछ एक ही स्टाइल में करें।
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बातचीत समाज की है। शब्द मन के हैं। ध्वनियाँ प्रकृति की हैं। निःशब्दता सृष्टि से परे की है।
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योगी सुख के खिलाफ नहीं होते। बात बस इतनी है, कि उन्हें अपने भीतर ही सुख से बहुत ज्यादा जबर्दस्त और टिकाऊ चीज़ मिल जाती है।
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अपने आसपास के जीवन के हर रूप के प्रति थोड़ा प्रेम और थोड़ी समझदारी से हम पर्यावरण को बचा सकते हैं और दुनिया को रूपांतरित कर सकते हैं।
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आध्यात्मिक मार्ग का सबसे बुनियादी पहलू है – खुद के साथ सौ फीसदी ईमानदार होना।
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यह मायने नहीं रखता कि आपके पास किस किस्म की बुद्धि है, वह कभी भी अस्तित्व की प्रकृति को समझने के लिए काफी नहीं हो सकती।
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इस संस्कृति में, आपको न सिर्फ अपना भगवान चुनने की आजादी है, बल्कि उस किस्म का भगवान रचने की भी आजादी है, जिससे आप जुड़ सकें।