मैं यहां जीवन की सेवा करने के लिए हूं। मेरा अपना कोई निजी मिशन व लक्ष्य नहीं है।
जीवन के हर क्षेत्र में, एक नए स्तर के संतुलन और क्षमता को प्राप्तष करना योग है।
किसी भी पल में, अगर हम सब अपनी ओर से बेहतरीन करते हैं, तो एक इंसान के तौर पर यह काफी है।
उत्सव मनाने के लिए जीवन अपने आप में एक पर्याप्त कारण है।
यह रात आदियोगी शिव की कृपा को जानने का एक जबरदस्त मौका है। मेरी कामना है कि उनकी शीतल ज्वाला, आपको जीवन और मृत्यु से गुजरने में आपका मार्गदर्शन करे।
आपको बीमारी, तकलीफ, और गरीबी से मुक्त करने के लिए आदियोगी यहां पर प्रतिष्ठित हैं – और सबसे बढ़कर, यह आपको जीवन और मृत्यु की प्रक्रिया से मुक्त करने के लिए हैं।
दो तरह के लोग होते हैं – एक जो किसी भी काम को साकार करते हैं, दूसरे वो जो कार्य के सफल होने पर उसका आनंद लेते हैं, और सफल न होने पर शिकायत करते हैं।
ध्यान कोई कार्य नहीं, एक गुण है।
महान बनने की महत्वीकांक्षा पालने की जरूरत नहीं है। अगर आप “मेरा क्याक होगा” की चिंता से ऊपर उठ जाते हैं, तो आप वैसे भी एक महान इंसान बन जाएंगे।
एक ऐसी दुनिया बनाने का समय आ गया है, जहां हर कोई बिना किसी मुद्दे के वैसे रह सके, जैसा वो है।
जब आप खुद को अपने काम में पूरी तरह झोंक देते हैं, तो आपकी ऊर्जा सिर्फ बढ़ेगी ही।
अगर आप नहीं जानते कि आप क्या बोल रहे हैं, तो बेहतर होगा कि चुप हो जाएं। मौन से समझ पैदा होगी।
अगर आपके पास आवश्यक तकनीक है, तो आप उससे एक निर्जीव वस्तु को भी ईश्वरीय ऊर्जा में रूपांतरित कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को प्रतिष्ठा कहते हैं।
मनुष्य होने का मतलब है प्रकृति के तथाकथित नियमों से परे जाने के काबिल होना, और कुछ ऐसा कर दिखाना जो हमसे भी विशाल हो।
हम आदियोगी को योगेश्वर, यानी एक पूर्ण योगी के रूप में प्रतिष्ठित कर रहे हैं। यह खुद को शरीर की सीमाओं से परे अनुभव करने के लिए है।