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जब आप जीवन की अनिश्चितताओं पर भी नाच सकते हैं, तभी एक उल्लास भरा जीवन जीना संभव है।
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‘वह जो नहीं है’ शिव है और ‘वह जो है’ शक्ति है। ये एक ही वास्तविकता के दो पहलू हैं।
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आपकी कार्यकुशलता अपने आसपास के लोगों के प्रति आपके प्रेम और परवाह का नतीजा होनी चाहिए – मशीन की तरह बेपरवाह होकर कार्य नहीं करना चाहिए।
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अपने जीवन को लेकर बहुत गंभीर मत हो जाइए – यह बस एक खेल है।
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आदियोगी शिव ने कहा कि मनुष्य की ऊर्जा प्रणाली ब्रह्माण्ड का एक सूक्ष्मै रूप है – इसकी रचना पूरे ब्रह्माण्ड की संरचना की तरह ही है।
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भाग्यग कोई तय चीज नहीं है – इसे आप खुद रचते हैं।
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हमें विश्वास करने या न करने की स्वतंत्रता देना – ये उन महत्वपूर्ण योगदानों में से है, जो आदियोगी शिव ने विश्व की आध्यात्मिक संस्कृति को भेंट किए।
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कामयाबी और नाकामयाबी के परे, स्वास्थ्य और बीमारी के परे, जीवन और मृत्यु के परे,एक दूसरे के प्रति प्रतिबद्ध रहना – यही आपको एक परिवार बनाता है।
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बीते कल का अस्तित्वी सिर्फ आपके मन में होता है।
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आदियोगी शिव कहते हैं कि एक साधक के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि उसे विचलित नहीं होना चाहिए।
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सफलता का मतलब है कि किसी चीज को आप उस तरह से करते हैं जो कारगर सिद्ध होता है।
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घनिष्टहता का असल में मतलब होता है – प्रतिरोध का न होना।
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चेतना विचारों का कोई पुलिंदा या किसी खास स्तर की समझ नहीं है – यह एक सीमा रहित आयाम है।
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सिर्फ बीमारी का न होना स्वास्थ्य नहीं है। स्वाकस्य्है एक संपूर्णता है, जिसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याकण सबकुछ होता है।
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शिव एक आयाम है, एक सिद्धांत है और एक व्यक्ति भी हैं। ये इस संस्कृति का अनूठा और सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।