मंदिर, मस्जिद, या चर्च जाने से आप आध्यात्मिक नहीं हो जाते। जब आप अपने भीतर मुड़ते हैं, तभी आध्यात्मिक होते हैं।
आपके कर्म कुछ खास प्रवृत्तियों के माध्यम से कार्य करते हैं। पर थोड़ी जागरूकता और एकाग्रता से आप इसे एक अलग दिशा दे सकते हैं।
अगर आप अपने मन की बक-बक को रोक दें, तो जीवन आनंदमय हो जाता है।
प्रतिद्वंदी दुश्मन नहीं होते। ये वे लोग हैं, जो आपको अपनी खुद की कमियों की याद दिलाते रहते हैं।
जीने का मतलब है देना, और देना ही जीना है।
आप जो अपने बारे में सोचते हैं या दुनिया जो आपके बारे में सोचती है, वो सिर्फ सामाजिक स्तर पर मायने रखता है। इसका अस्तित्व के स्तेर पर कोई मायने नहीं है।
गुरु का काम धर्मग्रंथों की व्याख्या करना नहीं है, बल्कि आपको जीवन के एक दूसरे आयाम में ले जाना है।
बच्चों का होना एक तृप्त जीवन की कुंजी नहीं है। आपके दर्जनभर बच्चे होने के बावजूद भी आप परेशान हो सकते हैं।
भारतीय संस्कृति महत्वोपूर्ण इसलिए है कि यह खुशहाली और मुक्ति की ओर ले जाने वाली एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है।
अविश्वसनीय चीजें की जा सकती हैं, अगर हम उनको साकार करने के लिए बस प्रतिबद्ध हो जाएं।
अगर आप कोशिश करने को तैयार हैं, तो उन सभी सीमाओं को जिन्हेंक मानवीय कहा जाता है, उनसे परे जाने का एक तरीका है।
आभार कोई नजरिया नहीं है। आभार एक ऐसी चीज है जो आपके भीतर से बाहर आती है, जब आप उस चीज़ से अभिभूत हो जाते हैं जो आपको दी जाती है।
ईश्वर कहीं स्वर्ग में नहीं बैठा हुआ है – यह हमारे भीतर ही है।
जब दुनिया में इतनी धन-दौलत मौजूद है, तो गरीबी का होना मानवता के खिलाफ एक अपराध है।
मातृत्व की सुंदरता बच्चे पैदा करने में नहीं, बल्कि समावेश में है – किसी दूसरे जीवन को अपने अंश की तरह अनुभव करने में है।