आप इस सृष्टि में एक सूक्ष्म कण हैं। लेकिन इस सूक्ष्म कण में संपूर्ण ब्रह्माण्ड को अपने अंदर समा लेने की क्षमता है।
भारत ने विश्व को योग भेंट किया है। अगर हर इंसान खुद को रूपांतरित करता है, तो विश्व रूपांतरित हो जाएगा।
हम सबके जीवन आपस में जुड़े हुए हैं। कल हम कितने स्वस्थ होंगे, यह इससे तय होगा कि आज पेड़-पौधे और जानवर कितने स्वस्थ हैं।
लोगों के साथ होने का मतलब है कि आप उनको शामिल करते हैं, प्रेरित करते हैं और उनका बल बढ़ाते हैं। उनको जांचना, उनकी आलोचना करना और फटकारना, यह सही तरीका नहीं है।
जीवन के लिए असफलता जैसी कोई चीज नहीं होती। असफलता सिर्फ उनके लिए होती है, जो हमेशा खुद की तुलना दूसरों से करते रहते हैं।
आप अपने बारे में क्या सोचते हैं, या दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं – इसका अस्तित्व के स्तर पर कोई महत्व नहीं है।
दुनिया में तालमेल तभी आएगा, जब लोग अपने भीतर वाकई तालमेल में होंगे।
सृष्टि में सबसे बड़ी ताकत चेतना है, और आप वही हैं।
आपके जीवन में चाहे जो भी संकट चल रहा हो, आप खुद को एक संकट मत बना लीजिए।
मन एक दर्पण की तरह होता है। उत्तल दर्पण बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है। अवतल दर्पण छोटा करके दिखाता है। पर समतल दपर्ण जीवन को वैसा ही दिखाता है जैसा वह है।
अब समय आ गया है कि हम अपने जीवन के हर क्षेत्र में मात्रा के बजाय गुणवत्ता को चुनें। तभी हम धरती को बचा सकते हैं।
कहा जाता है कि शादियां स्वर्ग में तय होती हैं। पर होता यह है कि कुछ लोग इसे नर्क बना देते हैं।
आनंद को बाहर खोजने की जरूरत नहीं है – यह तो स्वाहभाविक है। अगर आप अपने मन को अव्यजवस्थित नहीं रखते, तो आप स्वाभाविक रूप से आनंदित रहेंगे।
पैसा सिर्फ एक साधन है, लक्ष्य नहीं।
जब आप दूसरों की भलाई को अपनी भलाई से ऊपर रखते हैं, तो यह भक्ति है।